Uniform Civil Code: यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को लेकर तमाम संगठनों की तरफ से अपनी राय दी जा रही है. इसी क्रम में देश में मुसलमानों के बड़े संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने मौलाना अरशद मदनी की अध्यक्षता में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई. इसमें कई मुद्दों पर असहमति जताई गई है और कहा गया है कि यूसीसी शरीयत के खिलाफ है. संगठन की तरफ से साफ किया गया है कि ऐसा कोई भी कानून जो शरीयत के खिलाफ हो, उसे मुसलमान बर्दाश्त नहीं करेगा. मुसलमान कुछ भी बर्दाश्त कर सकता है, लेकिन शरीयत के खिलाफ नहीं जा सकता है.
कानूनी तरीके से लड़ने की तैयारी
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने यूसीसी को देश की एकता के लिए खतरा बताया है. जमीयत के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी यूसीसी के खिलाफ लोगों को सड़कों पर नहीं उतरने की अपील कर चुके हैं. कहा जा रहा है कि कानूनी तरीके से इस लड़ाई को लड़ने की तैयारी हो रही है. जमीयत की तरफ से यूसीसी पर सभी जिम्मेदार लोगों और संगठनों से आगे आने की अपील भी की गई है.
किसी भी हाल में नहीं हो सकता संशोधन
जमीयत ने यूसीसी पर अपनी राय रखते हुए कहा कि ये भारतीय संविधान में मिली धर्म के पालन करने की आजादी के खिलाफ है. ये लोगों से उनकी धार्मिक आजादी को छीनता है. संगठन ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ कुरान और सुन्नत से बना हुआ है, इसीलिए इसमें कयामत तक संशोधन नहीं किया जा सकता है.
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने दिया मसौदा
देश में मुसलमानों के सबसे बड़े संगठन ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर अपनी आपत्ति संबंधी मसौदा बनाकर लॉ कमीशन को भेज दिया. बोर्ड के प्रवक्ता कासिम रसूल इलियास ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि बोर्ड की कार्यसमिति ने बीती 27 जून को यूसीसी को लेकर तैयार किए मसौदे को मंजूरी दी थी, जिसे आनलाइन माध्यम से हुई बोर्ड की साधारण सभा में विचार के लिए पेश किया गया.
बता दें कि लॉ कमीशन ने यूसीसी पर तमाम पक्षकारों और हितधारकों को अपनी आपत्तियां दाखिल करने के वक्त दिया है. हालांकि बोर्ड ने इसे छह महीने तक बढ़ाने की गुजारिश की थी. विधि आयोग ने पिछली 14 जून को यूसीसी को लेकर सुझाव और आपत्तियां आमंत्रित करने की प्रक्रिया शुरू की थी, जिन्हें आगामी 14 जुलाई तक आयोग के सामने दाखिल किया जा सकता है.
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