UCC पर प्राइवेट मेंबर बिल की डिटेल आई सामने, राज्यसभा में आया था ये बिल
UCC In India: देश में कानून मंत्रालय के अधीन आने वाले विधि मंत्रालय ने 15 जून को एक नॉटिफिकेशन जारी करके लोगों से समान नागरिक संहिता पर अपने सुझाव मांगे थे.
Uniform Civl Code: देश में समान नागरिक संहिता को लेकर उस दिन से बहस का दौर शुरू हो गया है जब से विधिक आयोग ने देश के लोगों से इस मुद्दे पर सुझाव मांगे हैं. इसी बीच इस मामले में राज्यसभा से बीजेपी सांसद किरोणी लाल मीणा का नाम आ रहा है जो इससे पहले संसद में यूसीसी कोड के लिए प्राइवेट मेंबर बिल प्रपोज कर चुके हैं.
अगर यह बिल इस बार के मानसून सेशन में चर्चा के लिए रखा जाता है और यह संसद के दोनों सदनों से पास हो जाता है तो यह कानून बन जाएगा. इस प्राइवेट मेंबर बिल की मुख्य बातें क्या थीं हम आपको इसके बारे में जानकारी दे रहे हैं. इस बिल के बारे में बोलते हुए मीणा ने कहा कि उन्होंने पार्टी से अनुमति लेकर UCC पर प्राइवेट मेंबर बिल सदन के सामने रखा था, UCC हमारी विचारधारा का हिस्सा है, हम ये चुनाव की दृष्टि से नहीं बल्कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए ऐसा कर रहे हैं.
क्या कहता है किरोणी लाल मीणा का यूसीसी बिल?
इस एक्ट को यूनिफार्म सिविल कोड इन इंडिया एक्ट 2020 के नाम से जाना जाएगा, यह सारे देश में लागू होगा. यूनिफार्म सिविल कोड का मतलब भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक कॉमन लॉ से होगा, चाहे वह किसी भी जाति या धर्म का हो. इस एक्ट के लागू होने के 6 महीने के भीतर केंद्र सरकार एक कमेटी का गठन करेगी जिसे नेशनल इंस्पेक्शन एंड इंवेस्टिगेशन कमेटी के नाम से जाना जाएगा. यही कमेटी यूनिफार्म सिविल कोड को तैयार करेगी और उसे देश भर में लागू करेगी.
ये कमेटी देश के पूरे भौगोलिक क्षेत्र में यूनिफार्म सिविल कोड का क्रियान्वयन सुनिश्चित करेगी. ये कमेटी सुनिश्चित करेगी कि यूनिफार्म सिविल कोड बिना किसी भेदभाव के इन मु्द्दों पर सभी नागरिकों को समान अधिकार उपलब्ध कराने की कोशिश करेगा.
1. मैरिज
2. डिवोर्स
3. उत्तराधिकार
4. एडॉप्शन
5. गार्जियनशिप और
6. जमीन व संपत्ति के बंटवारे के लिए प्रभावी होगा.
क्या पर्सनल लॉ को रिप्लेस कर देगी यूसीसी?
ये कमेटी संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार को सुनिश्चित करेगी. साथ ही अनुच्छेद 15 के तहत रिलीजन, रेस, कास्ट, सेक्स या फिर प्लेस ऑफ बर्थ के आधार पर किसी भी तरह के भेदभाव पर रोक को भी सुनिश्चित करेगी. यूनिफॉर्म सिविल कोड के क्रियान्वयन में जेंडर इक्वैलिटी यानि लैंगिक समानता का भी ध्यान रखा जाएगा. पर्सनल लॉ या फिर धार्मिक किताबों पर आधारित कानूनों और परंपराओं को इस यूनिफार्म सिविल कोड से रिप्लेस किया जाएगा.