किसानों के साथ वार्ता में क्या होगा कल सरकार का रुख? कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर और पीयूष गोयल ने की अमित शाह से मुलाकात
केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर एक महीने से अधिक समय से प्रदर्शन कर रहे हैं और वे संबंधित कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.
नए कृषि कानूनों पर भारी विरोध कर रहे किसान संगठनों के साथ एक और दौर की वार्ता से ठीक एक दिन पहले केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर और पीयूष गोयल ने सीनियर बीजेपी नेता और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मंगलवार को मुलाकात की. समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि मंत्रियों ने इस बैठक में इस बारे में चर्चा की कि बुधवार को किसानों के साथ होने वाली वार्ता में सरकार का क्या रुख रहेगा.
किसान के साथ वार्ता में सरकार की तरफ से कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश नेतृत्व कर रहे हैं.
केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर एक महीने से अधिक समय से प्रदर्शन कर रहे हैं और वे संबंधित कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. इनमें अधिकतर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से हैं, जो दिल्ली सीमा पर आकर सितंबर महीने में सरकार की तरफ से लाए गए तीन कृषि कानूनों की वापसी की मांग कर रहे हैं.
किसानों की धमकी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गई तो आने वाले दिनों में उनका यह आंदोलन और तेज होगा. सरकार और किसान संगठनों के बीच अब तक हुई पांच दौर की बातचीत बेनतीजा रही है. केंद्र ने गतिरोध को समाप्त करने के लिए बुधवार को होने वाली अगले दौर की वार्ता के लिए 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया है.
किसानों के साथ आखिरी बार 5 दिसंबर को वार्ता हुई थी. 9 दिसंबर को अगली वार्ता प्रस्तावित थी लेकिन केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की तरफ से अनौपचारिक तौर पर किसानों संगठनों को बातचीत के लिए उससे पहले बुलाया गया था, जो बनतीजा रहा. उसके बाद छठे दौर की 9 दिसंबर को होने वाली बैठक को रद्द कर दिया गया था.
गौरतलब है कि केन्द्र की तरफ से किसान संगठनों को बातचीत के लिए बुलाया गया है. इसे किसान संगठनों की तरफ से स्वीकार कर लिया गया है. इससे पहले, सरकार की तरफ से जो प्रस्ताव भेजा गया था उसे किसान संगठनों ने ठुकरा दिया था. किसान संगठन इस जिद पर अड़े हुए है कि सरकार जो तीन कृषि संबंधी कानून लेकर आई है उसे वापस लिया जाए.
सरकार का तर्क है कि इन कानूनों से कृषि क्षेत्र में सुधार होगा जबकि किसानों के मन में डर है कि इससे उन्हें कॉरपोरेट के आगे बेबस छोड़ दिया जाएगा.
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