केन्द्र सरकार की तरफ से पिछले साल सितंबर के महीने में संसद से पास कराए गए कृषि क्षेत्र में सुधार संबंधी तीन नए कृषि कानूनों पर किसानों का प्रदर्शन लगातार जारी है. इस बीच केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने गुरूवार को एक बार फिर से यह साफ किया है कि केन्द्र के तीन नए कृषि कानून वापस नहीं होंगे.


इसके बाद भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्त राकेश टिकैत ने आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार की 'हठधर्मिता' के चलते देश में इमरजेंसी जैसे हालात पैदा हो गए हैं. उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा- “तीनों काले कानूनों को लेकर सरकार की हठधर्मिता से देश में इमरजेंसी जैसी हालात पैदा हो गयी है. किसान बिना बिल वापसी के घर वापसी नहीं जाएगा. सरकार कृषि बिल वापसी को लेकर अनावश्यक हठधर्मिता कर रही है. तीनों कानून वापस लेने होंगे, और एमएसपी पर कानून बनाना होगा.”


हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं है जब केन्द्र सरकार की तरफ से ये बातें कही गई हो. सरकार की तरफ से लगातार ये कहा जाता रहा है कि वे किसानों के साथ बातचीत को तैयार हैं और जिन चीजों पर किसानों को ऐतराज है उस पर वे आकर चर्चा करें. लेकिन, किसान पिछले करीब सात महीने से कृषि कानूनों की वापसी की अपनी जिद पर अड़े हुए हैं. इसके साथ ही सरकार एमएसपी को कानून का हिस्सा बनाने की भी मांग कर रहे हैं.


अब तक इस मुद्दे पर सरकार और किसान संगठनों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं निकल पाया. दरअसल किसानों को डर है कि इन तीन नए कृषि कानूनों के जरिए सरकार मंडी व्यवस्था यानी एमएसपी को खत्म कर देगी और उन्हें पूंजीपतियों के भरोसे छोड़ देगी. जबकि सरकार लगातार यह आश्वासन दे रही है कि एमएसपी को खत्म नहीं किया जाएगा. बल्कि इन तीनों कानूनों के जरिए कृषि क्षेत्र में सुधार होगा और किसानों की आमदनी बढ़ेगी.


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