पटना: 1 फरवरी 2018 को देश का आम बजट पेश होना है. बजट सत्र का पहला हिस्सा 29 जनवरी से 9 फरवरी तक चलेगा. इस बार के बजट से जहां देशभर को उम्मीदें हैं, वहीं बिहार भी इसमें शामिल है. चाहे रोजगार की बात हो या फिर पलायन की, बिहार के सामने ये चुनौतियां खड़ी हैं. इसके साथ ही राज्य में बड़ी-बड़ी कंपनियों को कोई निवेश नहीं है. ऐसे में जब देश का आम बजट पेश होने जा रहा है, यहां हम आपको बिहार के दर्द की एक झलक पेश कर रहे हैं.
बेरोजगारी और पलायन
विकास का दावा करने वाले नीतीश कुमार के शासनकाल में भी पलायन के हालात नहीं सुधरे हैं. साल 2005 में जब नीतीश कुमार ने जब राज्य की कमान संभाली तो पलायन का दर फीसदी था लेकिन 2009 में ये बढ़कर 26 प्रतिशत हो गया है. बिहार के युवाओं के सामने रोजगार सबसे बड़ी चुनौती है. यहां के युवाओं को पढ़ाई के बाद अपने राज्य में ही नौकरी नहीं मिलती है. इस वजह से उन्हें दूसरे राज्य में पलायन के लिए मजबूर होना पड़ता है.
आंकड़ों के मुताबिक बिहार से हर साल 45 लाख युवा रोजगार की तलाश में पलायन करते हैं. बिहार में छोटे-बड़े मिलाकर कुल तीन हजार 132 फैक्ट्रियां और कारखाने हैं. इनमें सिर्फ एक लाख 13 हजार लोगों को रोजगार मिला है. बिहार में सालों से नए उद्योग धंधे खुल नहीं रहे हैं और विदेशी निवेश तो दूर की कौड़ी है.
बिहार से पलायन रोकने के तमाम दावे समय-समय पर होते रहते हैं लेकिन जब तक बिहार में औद्योगिक निवेश नहीं आएगा, मल्टीनेशनल कंपनियां नहीं आएंगी, प्राइवेट नौकरियां नहीं बढ़ेगी और सबसे अहम कृषि क्षेत्र मजबूत नहीं होगा, तब तक पलायन रोकना मुश्किल है.