Union Budget 2024: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार (23 जुलाई) को मोदी सरकार 3.O का पहला बजट पेश किया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट को गरीब, किसान, महिलाओ और युवाओं पर केंद्रित बताया, लेकिन विपक्षी दल इसे लेकर लगातार केंद्र पर हमलावर हैं. कांग्रेस नेताओं ने तो इसे कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र की नकल बता दिया. 


इस कड़ी में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने भी केंद्र सरकार पर निशाना साधा. ममता बनर्जी ने कहा कि केंद्रीय बजट में बंगाल (West Bengal) को पूरी तरह से वंचित रखा गया और गरीब लोगों के हितों का ध्यान नहीं रखा गया. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बोलीं कि केंद्रीय बजट राजनीतिक रूप से पक्षपातपूर्ण और जनविरोधी है.


दिशाहीन है बजट


न्ययूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में सीएम ममता बनर्जी ने कहा, 'ये बजट दिशाहीन है, इसमें कोई विजन नहीं है, सिर्फ राजनीतिक मिशन है, मुझे इसमें कोई रोशनी नहीं दिख रही, सिर्फ अंधेरा है... यह जनविरोधी, गरीबविरोधी बजट है, यह बजट जनसाधारण के लिए नहीं है. यह एक पार्टी को खुश करने के अनुरूप तैयार किया गया है, यह राजनीतिक पक्षपातपूर्ण बजट है.'


जयराम रमेश ने किया वार


कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट के जरिए केंद्र सरकार को घेरा. पोस्ट में उन्होंने लिखा, 'वित्त मंत्री ने कांग्रेस के न्याय पत्र 2024 से सीख ली है. उनका इंटर्नशिप कार्यक्रम स्पष्ट रूप से कांग्रेस के प्रस्तावित प्रशिक्षुता कार्यक्रम पर आधारित है, जिसे हमने पहली नौकरी पक्की कहा था‌ लेकिन, उन्होंने अपनी ट्रेडमार्क शैली में इसे हेडलाइन बनाने के लिए डिजाइन किया है. कांग्रेस के घोषणा पत्र में सभी डिप्लोमा धारकों और स्नातकों के लिए प्रोग्रामेटिक गारंटी थी, जबकि सरकार की योजना में मनमाने ढंग से लक्ष्य (1 करोड़ इंटर्नशिप) रख दिया गया है.'


'किसानों के साथ अनुचित व्यवहार हुआ'


जयराम रमेश ने X पर एक अन्य पोस्ट में बजट के जरिए केंद्र पर आरोप लगाया कि किसानों के साथ अनुचित व्यवहार किया गया. उन्होंने लिखा, 'बजट के माध्यम से केंद्र सरकार ने देश के किसानों के साथ अनुचित व्यवहार किया है. कृषि बजट - जो देश की अधिकांश आबादी को प्रभावित करता है - कुल बजट का केवल 3.15% है. यह 2019-2020 के 5.44% से भी कम है. यह तब हुआ है जब एक साल तक खराब मानसून के कारण कृषि विकास दर 2022-23 के 4.7% से घटकर 2023-24 में 1.4% हो गई है. ऐसी स्थिति में इस क्षेत्र को सरकार से अधिक समर्थन की आवश्यकता है लेकिन बजट ने निराश किया है. वित्त मंत्रालय ने इस साल की शुरुआत में फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि का दावा किया था लेकिन कीमतें अभी भी स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश वाले फॉर्मूले के अनुरूप न होकर काफी कम हैं. एमएसपी को कानूनी दर्जा देने और कृषि ऋण माफी की मांग पर खामोशी बरती गई है.'


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