आरक्षण पर मोदी सरकार का फैसला लागू हुआ तो सिर्फ 40 फीसदी रह जाएगी अनारक्षित कोटे की हिस्सेदारी
अभी देश में सरकारी नौकरी और उच्च शिक्षण संस्थानों में 49.5 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था है. इसके तहत अनुसूचित जाति को 15 फीसदी, अनुसूचित जन जाति को 7.5 फीसदी और ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था है.
नई दिल्ली: मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव से ऐन पहले आर्थिक रुप से पिछड़े सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने का बड़ा फैसला किया है. इसे लेकर मोदी सरकार कल लोकसभा में संशोधन बिल भी पेश कर सकती है. अगर ये कानून पास होता तो देश में अनारक्षित कोटे की हिस्सेदारी 50 फीसदी से घटकर महज़ 40 फीसदी रह जाएगी.
अभी देश में सरकारी नौकरी और उच्च शिक्षण संस्थानों में 49.5 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था है. इसके तहत अनुसूचित जाति को 15 फीसदी, अनुसूचित जन जाति को 7.5 फीसदी और ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था है. मोदी सरकार ने अपने ताजा फैसले में आर्थिक रुप से पिछड़े सवर्णों को जो आरक्षण देने का फैसला किया है वो 49.5 फीसदी से अलग होगा यानि अब कुल आरक्षण की हिस्सेदारी बढ़कर 59.5 फीसदी हो जाएगी. इसका सीधा मतलब ये हुआ कि अनारक्षित कोटे की हिस्सादारी घटकर 40 फीसदी रह जाएगी.
आपको बता दें कि देश की मौजूदा कानून के हिसाब से आरक्षण कोटे की हिस्सेदरी 50 फीसदी से ज्यादा नहीं बढ़ाई जा सकती है. इसलिए इस आरक्षण के कोटे को बढ़ाने के लिए मोदी सरकार को संविधान संशोधन बिल लाना होगा और उसके बाद ही आर्थिक रुप से पिछड़े सवर्णों को आरक्षण दिया जा सकता है.
16 नवंबर, 1992- को सुप्रीम कोर्ट ने इंद्रा साहनी और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य (AIR 1993 SC 477) में अपना फैसला सुनाया. जिसमें माना गया कि अनुच्छेद 16 (4) के तहत कुल आरक्षण 50 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए.
27 अप्रैल, 2008- सुप्रीम कोर्ट ने इंद्रा साहनी (I) (मंडल केस) में दिए गए अपने फैसले को दोहराया कि SC/ST और अन्य पिछड़ा वर्ग या विशेष श्रेणियों के लिए कुल आरक्षण 50 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए. इंद्रा साहनी मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विशेष रूप से 'आर्थिक मानदंड' असंवैधानिक थे क्योंकि 'गरीब' की श्रेणी में 'सामाजिक पिछड़ेपन' को प्रतिबिंबित नहीं किया गया था.
लोकसभा चुनाव से कुछ महीनों पहले सरकार के इस निर्णय से सवर्णों को सबसे ज्यादा फायदा होगा. इससे ब्राह्मण, ठाकुर, भूमिहार, कायस्थ, बनिया, जाट गुर्जर आदि को लाभ मिलेगा. आर्थिक तौर पर कमजोर सवर्णों के लिए आरक्षण की मांग काफी पुरानी है. करीब 17 साल पहले पहली बार ऐसी मांग रखी गई थी.
इन लोगों को किया जाएगा शामिल * इसमें उन लोगों को शामिल किया जाएगा जिनकी सालाना आय 8 लाख से कम हो. * 5 एकड़ तक ज़मीन हो. * रहने का मकान 1,000 स्क्वायर फीट से कम हो. * रिहायशी प्लॉट अगर शहरी श्रेत्र में आता है तो वह 100 यार्ड से कम हो. * रिहायशी प्लॉट शहरी क्षेत्र के बाहर हो तो यह 200 यार्ड से कम होना चाहिए.
इसके लिए संविधान संशोधन लाया जाएगा और संविधान की धारा 15-16 में बदलाव होगा. धारा 15 के तहत शिक्षण संस्थानों में आरक्षण मिलेगा. धारा 16 के अंतर्गत रोजगार में आरक्षण मिलेगा. कल ही सरकार लोकसभा में संविधान संशोधन बिल पेश करेगी.
किस जाति की कितनी संख्या है इसका सही आंकड़ा नहीं भारत में किस जाति की कितनी संख्या है इसका सही आंकड़ा नहीं है, क्योंकि आजाद भारत के जनगणना में जाति को लेकर कोई जानकारी नहीं दी जाती. हालांकि, 1931 के जनगणना में जातियों की स्थिति जानी गई है, लेकिन उसके बाद ऐसा कोई आंकड़ा नहीं है जिससे सवर्णों की संख्या का सटीक अंदाज़ा लगाया जा सके. हालांकि, ये माना जाता है कि करीब 15 फीसदी आबादी सवर्णों की है. इन सवर्णों में कितनी फीसदी सवर्ण गरीब हैं और इनकी संख्या क्या है इसके बारे में आधिकारिक जानकारी नहीं है.
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