नई दिल्ली: तीन दशक के लंबे अंतराल यानी 34 साल के बाद केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए नई शिक्षा नीति लागू कर दी है, जिसे बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दी गई. साथ ही एचआरडी मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है. नई शिक्षा नीति में बेसिक और उच्च शिक्षा के क्षेत्र आमूलचूल परिवर्तन किए गए हैं, जिससे बेसिक शिक्षा में लचीलापन लाने समेत क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा देने की व्यवस्था की गई है.
नई नीति में कक्षा 5 तक अनिवार्य रूप से और कक्षा 8 तक वैकल्पिक रूप से शिक्षा का माध्यम स्थानीय और मातृभाषा को रखने की सिफ़ारिश की गई है. साथ ही 2030 तक 3 से 18 साल के सभी बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण अनिवार्य शिक्षा करवाने का लक्ष्य भी रखा गया है. सरकार ने यह भी फैसला लिया है कि 2030 तक देश के हर जिले में मल्टीएजुकेशन उच्च शिक्षा संस्थान स्थापित किए जाएंगे.
गौरतलब है कि 2014 में सत्ता में आने के बाद से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई शिक्षा नीति पर काम शुरू कर दिया था. तत्कालीन एचआरडी मंत्री स्मृति ईरानी की पहल पर नई शिक्षा नीति के लिए 2015 में परामर्श प्रक्रिया को शुरू किया गया था.
देशभर के ढाई लाख ग्राम पंचायत, 66000 ब्लॉक, 6000 शहरी निकायों, 676 जिलों और 36 राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों में मई 2015 से अक्टूबर 2015 के बीच व्यापक सर्वे कराया गया था. इस पूरी प्रक्रिया के लिए डॉ के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में 9 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था. इस कामेटी ने 31 मई 2019 को अपनी रिपोर्ट पेश की. इस रिपोर्ट के आधार पर ही नई शिक्षा नीति तय की गई है.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के खास बिंदु:-
प्रत्येक छात्र की विशिष्ट क्षमताओं को पहचानना
ग्रेड 3 तक सभी छात्रों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान प्राप्त करने को प्राथमिकता
लचीलापन
बहु विषयक और समग्र शिक्षा
बहु भाषावाद और भाषा की शक्ति को बढ़ावा
प्रौद्योगिकी का व्यापक उपयोग
स्थानीय संदर्भों को सम्मान देना
सभी स्तरों के पाठ्यक्रम में तालमेल
शैक्षणिक प्रणाली के संसाधन और दक्षता सुनिश्चित करने के लिए सरल लेकिन कठोर ढांचा
उत्कृष्ट शोध पर जोर
भारत तथा इसकी समृद्ध,विविध और प्राचीन और आधुनिक संस्कृति और ज्ञान प्रणाली और परंपराओं से जुड़े रहना और उनपर गौरव करना
शिक्षा एक लोक सेवा
मजबूत और सक्रिय सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली
राष्ट्रीय शिक्षा नीति की प्रमुख विशेषताएं:-
- शिक्षकों के साथ-साथ अभिभावकों को भी जागरूक करना और प्रत्येक छात्र की क्षमताओं को बढ़ावा देना प्राथमिकता होगी.
- वैचारिक समझ पर जोर होगा, रचनात्मकता और महत्वपूर्ण सोच को बढ़ावा मिलेगा.
- छात्र अपने मुताबिक खुद का चुनाव कर सकेंगे. कला और विज्ञान के बीच कोई कठिनाई अलगाव नहीं होगा.
- नैतिकता, मानव के संवैधानिक मूल्य, पाठ्यक्रम का प्रमुख हिस्सा होंगे.
- नियमित रूप से छात्रों का मूल्यांकन होगा.
नई शिक्षा नीति के कुछ अन्य महत्वपूर्ण पहलू:-
- 2040 तक सभी उच्च शिक्षा संस्थानों को मल्टी सब्जेक्ट इंस्टिट्यूशन बनना होगा, जिसमें 3000 से अधिक छात्र होंगे
- 2030 तक हर जिले में या उसके पास कम से कम एक बड़ा मल्टी सब्जेक्ट हाई इंस्टिट्यूशन होगा.
- संस्थानों का पाठ्यक्रम ऐसा होगा कि सार्वजनिक संस्थानों के विकास पर उसमें जोर दिया जाए.
- संस्थानों के पास ओपन डिस्टेंस लर्निंग और ऑनलाइन कार्यक्रम चलाने का विकल्प होगा.
- उच्च शिक्षा के लिए बनाए गए सभी तरह के डीम्ड और संबंधित विश्वविद्यालय को सिर्फ अब विश्वविद्यालय के रूप में ही जाना जाएगा.
- मानव के बौद्धिक, सौंदर्य, सामाजिक, शारीरिक, भावनात्मक और नैतिक सभी क्षमताओं को एकीकृत विकसित करने का लक्ष्य रखेगा शिक्षा कार्यक्रम.
- आईआईटी जैसे इंजीनियरिंग संस्थान अधिक कला और मानविकी के साथ-साथ समग्र और बहू विशेष शिक्षक और बढ़ेंगे, इसी तरीके से कला और मानविकी के छात्र अधिक विज्ञान सीखने का लक्ष्य रखेंगे.
- संगीत दर्शन कला नृत्य रंगमंच उच्च संस्थानों की शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल होंगे.
- स्नातक की डिग्री 3 या 4 साल की अवधि की होगी.
- एकेडमी बैंक ऑफ क्रेडिट बनेगी, जो छात्रों के परफॉर्मेंस का डिजिटल रिकॉर्ड इकट्ठा करेगी.
- 2050 तक स्कूल और उच्च शिक्षा प्रणाली के माध्यम से कम से कम 50 फ़ीसदी शिक्षार्थियों को व्यावसायिक शिक्षा के लिए जोखिम लेना होगा.
- सभी नए क्षेत्र में गुणवत्ता, योग्यता, अनुसंधान के लिए एक नया राष्ट्रीय शोध संस्थान बनेगा, इसका संबंध में देश के सारे विश्वविद्यालय से होगा.