नई दिल्ली: रक्षा क्षेत्र में बड़े सुधार की तरफ कदम उठाते हुए सरकार ने सरकारी उपक्रम, ऑर्डेनेंस फैक्ट्री बोर्ड यानि ओएफबी के ‘कॉर्पोरेटाइजेशन’ को हरी झंडी दे दी है. बुधवार को कैबिनेट की हुई मीटिंग में इस बात का फैसला लिया गया कि ओएफबी के अंतर्गत आने वाले गोला-बारूद, हथियार और दूसरे सैन्य साजो-सामान की सभी 41 फैक्ट्रियों को सात अलग-अलग कॉर्पोरेट कंपनियों में ट्रांसफर कर दिया जाएगा.


ओएफबी की काम करने की शैली में आएगा बदलाव


रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, कॉर्पोरेटाइजेशन से ओएफबी की काम करने की शैली में बदलाव आएगा. इससे कंपनियों को काम करने की स्वायत्ता मिलने के साथ साथ काम करने में दक्षता और जवाबहेदी भी तय होगी. इस कदम से ओएफबी का उत्पादन बढ़ेगा और लाभदायक कंपनियां बनेंगी. इसके अलावा मार्केट में कॉम्पीटिशन भी बढ़ेगा.


जानकारी के मुताबिक, सभी 41 फैक्ट्रियों को जिनको सात कंपनियों में बांटा जाएगा, वे होंगी, गोला-बारूद, हथियार (राइफल, मशीनगन, तोप इत्यादि), व्हीकल्स (टैंक, बीएमपी, ट्रक), ट्रूप कम्फर्ट आइटम ग्रुप, ओप्टो-इलेक्ट्रोनिक, पैराशूट ग्रुप और एनसेलेरी-ग्रुप.


सरकार के कर्मचारी नियमों में कोई बदलाव नहीं


कैबिनेट ने कॉर्पोरेटाइजेशन को मंजूरी देते हुए ओएफबी के सभी 70 हजार कर्मचारियों को भरोसा दिलाया है कि किसी की भी छटनी नहीं की जाएगी. सभी 41 फैक्ट्रियों में काम करने वाले ए, बी और सी ग्रुप के कर्माचरियों को दो साल के लिए इन कॉर्पोरेट कंपनियों में डेप्यूटेशन पर भेज दिया जाएगा और उनकी केंद्र सरकार के कर्मचारी नियमों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा.


बता दें कि दो साल पहले सरकार ने जब कॉर्पोरेटाइजेशन की प्रक्रिया शुरू की थी तो ओएफबी की सभी फैक्ट्रियां हड़ताल पर चली गई थी. लेकिन सरकार के भरोसा दिलाने पर वापस काम पर लौट आई थीं. सरकार ने ओएफबी के कॉर्पोरेटाइजेशन के क्रियान्वन के लिए रक्षा मंत्री के नेतृत्व में एक एम्पावर्ड ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स भी बनाया है.


ये भी पढ़ें-


कांग्रेस टूलकिट केस: 31 मई को बेंगलुरु में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने की थी ट्विटर इंडिया के MD से पूछताछ- सूत्र


Explained: Twitter का भारत में लीगल प्रोटेक्शन समाप्त, जानें विवादित पोस्ट करने पर कैसे कसा जाएगा शिकंजा