नई दिल्ली: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की कैबिनेट ने समान पात्रता परीक्षा (कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट) कराने के लिए राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी के गठन को मंजूरी दे दी है. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इस फैसले से देश के युवाओं को नौकरी मिलने में फायदा होगा. पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में ये फैसला लिया गया.


बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री जावड़ेकर ने बताया ‘‘युवाओं को फिलहाल नौकरी के लिये कई अलग अलग परीक्षाएं देनी पड़ती हैं. ऐसी परीक्षाओं के लिए अभी लगभग 20 भर्ती एजेंसियां हैं और परीक्षा देने के लिए अभ्यर्थियों को दूसरे स्थानों पर भी जाना पड़ता है.’’ उन्होंने कहा कि इस संबंध में परेशानियां दूर करने की मांग काफी समय से की जा रही थी. इसे देखते हुए कैबिनेट ने साझा पात्रता परीक्षा लेने के लिये ‘राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी’ के गठन का निर्णय किया गया है.


Union Cabinet approves setting up of 'National Recruitment Agency' to conduct Common Eligibility Test. This decision will benefit job seeking youth of the country: Union Minister Prakash Javadekar pic.twitter.com/oSbo1sIAus





इस फैसले पर केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे ऐतिहासिक सुधारों में से एक है. यह भर्ती, चयन, नौकरी में आसानी और विशेष रूप से समाज के कुछ वर्गों के लिए जीवन यापन में आसानी लाएगा. उन्होंने कहा कि कॉमन इंट्रेंस टेस्ट का स्कोर तीन साल के लिए वैलिड होगा. इस दौरान कोई भी कैंडिडेट अलग-अलग क्षेत्रों में जॉब के लिए अप्लाई कर सकेंगे.


एक अधिकारी ने कहा कि केंद्र सरकार में लगभग 20 से अधिक भर्ती एजेंसियां ​​हैं. हालांकि, हम अब तक सिर्फ तीन एजेंसी की परीक्षा को कॉमन बना रहे हैं. लेकिन समय के साथ हम सभी भर्ती एजेंसियों के लिए कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट दे सकेंगे. उन्होंने कहा कि ग्रुप बी और ग्रुप सी के 1.25 लाख से अधिक पदों के लिए हर साल ढाई से तीन करोड़ लोग परीक्षा देते हैं. ये परीक्षाएं आईपीबीएस, एएसी और आरआरबी के जरिए होती है. अब ये अलग-अलग परीक्षाएं एक ही होंगी. परीक्षा आयोजित करने के लिए हर जिले में कम से कम एक परीक्षा केंद्र स्थापित किया जाएगा.


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