नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने स्कूली शिक्षा में सुधार के लिए बुधवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत नये ‘टीचिंग-लर्निंग एंड रिजल्ट्स फॉर स्टेट्स’ (स्टार्स) कार्यक्रम को मंजूरी दी. विश्व बैंक से सहायता प्राप्त इस कार्यक्रम के तहत 5718 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यह घोषणा की. इस कार्यक्रम का क्रियान्वयन केंद्र सरकार के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा नए केंद्र पोषित कार्यक्रम के रूप में होंगे.
जावड़ेकर ने कहा, ‘‘केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में महत्वपूर्ण फैसला लिया गया है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अब अमली जामा पहनाना शुरू किया जाएगा. इसके लिए स्टार्स कार्यक्रम तय किया गया है. अब शिक्षा का मतलब रट्टा लगाकर पढ़ाई करना नहीं बल्कि समझ कर सीखना होगा.’’
उन्होंने कहा कि यह परियोजना विश्व बैंक के सहयोग से चलेगी. इसकी कुल लागत 5718 करोड़ रुपये हैं, जिसमें विश्व बैंक ने 50 करोड़ डॉलर का सहयोग किया है.
जावड़ेकर ने बताया कि यह कार्यक्रम हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध प्रदेश, केरल और ओडिशा में लागू होगा. सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि इन पहचान किए राज्यों को शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के विभिन्न उपायों के लिए सहायता प्रदान की जाएगी.
बयान के मुताबिक, ‘‘इस परियोजना के अतिरिक्त गुजरात, तमिलनाडु, उत्तराखंड, झारखंड और असम में इसी प्रकार की एडीबी वित्त पोषित परियोजना लागू करने की भी कल्पना की गई है. सभी राज्य अपने अनुभव और श्रेष्ठ प्रक्रियाएं साझा करने के लिए एक दूसरे राज्य के साथ भागीदारी करेंगे.’’
इस कार्यक्रम के तहत शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा राष्ट्रीय आकलन केन्द्र, परख की स्थापना की जाएगी. स्टार्स परियोजना का समग्र जोर और इसके घटक गुणवत्ता आधारित शिक्षण परिणामों की राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्यों के साथ जुड़ा है.
बयान में कहा गया कि इस परियोजना में चुनिंदा राज्यों में हस्तक्षेपों के माध्यम से भारतीय स्कूली शिक्षा प्रणाली में समग्र निगरानी और मापक गतिविधियों में सुधार लाने की कल्पना की गई है.
इसके मुताबिक, ‘‘यह परियोजना इन परिणामों के साथ निधियों की प्राप्ति और वितरण को जोड़कर वास्तविक परिणामों के साथ इनपुट और आउटपुट के रखरखाव के प्रावधान से ध्यान केन्द्रित करने में बदलाव करती है.’’
जावड़ेकर ने कहा, ‘‘इससे शिक्षा में मूलभूत सुधार का मार्ग प्रशस्त होगा. छात्रों के भाषा ज्ञान में सुधार होगा और माध्यमिक शिक्षा पूरी करने की दर में सुधार होगा.’’
जावड़ेकर ने कहा कि इस फैसले से राज्यों के बीच सहयोग बढ़ेगा, शिक्षकों का प्रशिक्षण होगा और परीक्षा में सुधार होने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में भारत तैयारी के साथ भाग ले सकेगा.
सरकार की ओर से जारी बयान में यह भी कहा गया कि इस परियोजना में छात्रों के प्रतिधारण, संक्रमण और समापन दरों के बारे में मजबूत और प्रामाणिक डेटा प्राप्त करने के लिए शिक्षा मंत्रालय की राष्ट्रीय डेटा प्रणालियों को मजबूत बनाना शामिल है.
इसके अलावा राज्य प्रोत्साहन अनुदान (एसआईजी) के माध्यम से राज्यों के शासन सुधार एजेंडा को प्रोत्साहन देकर राज्यों के पीजीआई अंकों में सुधार लाने में शिक्षा मंत्रालय की मदद करना भी परियोजना के घटकों में शामिल है.