नई दिल्ली: मोदी सरकार ने किसानों को राहत पहुंचाने के लिए बड़े फैसले किए हैं.  कैबिनेट ने फैसला किया है कि किसानो को नौ फीसद की ब्याज दर से मिलने वाला लोन अब चार फीसद की ब्याज दर से मिलेगा. पांच फीसद ब्याज सरकार चुकाएगी. ये सुविधा एक साल तक के लिए फसल के लिए लिए जाने वाले लोन पर होगी.


सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार अधिकतम तीन लाख के लोन पर ब्याज दर में पांच फीसद की छूट देगी. इस स्कीम में सरकार करीब 19000 करोड़ रुपये खर्च करेगी.


 

बता दें कि पहले महाराष्ट्र और फिर मध्य प्रदेश में हुए किसान आंदोलन के बाद से कर्जमाफी की मांग एक बार फिर तेज हो गई है. दरअसल यूपी विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी ने सरकार बनने के बाद किसानों की कर्जमाफी का एलान किया था. जिसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपनी पहली ही कैबिनेट में किसानों का कर्ज माफ करने का फैसला किया था. इसी के बाद से देश के अन्य राज्यों में किसान आंदोलन कर कर्जमाफी की मांग करने लगे थे.

कर्जमाफी से जुड़े कुछ आकड़ों पर नज़र डाले तो पिछले कुछ सालों में बैंकों का कृषि क्षेत्र में बकाया कर्ज बढ़ता जा रहा है. 2014-15 में बैंकों का कृषि कर्ज - 8.4 लाख करोड़ रुपए था जो 2015-16 में 9.1 लाख करोड़ हुआ और अब यानी 2016-17 में 9.6 लाख करोड़ रुपए हो चुका है.

आम आदमी पर असर डालता है किसानों की कर्जमाफी का फैसला

बैंकों पर बोझ बढ़ने का सीधा असर आम आदमी पर पड़ता है, क्योंकि अगर बैंक के पास पैसे की कमी होगी तो किसी भी कर्ज के लिए ब्याज दरें ऊंची रहेंगी. वहीं दूसरी तरफ सरकार जब भी कर्जमाफी का एलान करती है तो उसका बोझ भी महंगाई की शक्ल में आम आदमी पर ही पड़ता है. यानी किसी भी स्थिति में कर्जमाफी सीधे आपकी जेब में सेंध लगाती है.

  • इससे पहले 2014 में आंध्र प्रदेश ने किसानों का 40 हजार करोड़ का कर्ज माफ किया.

  • तेलंगाना में 17 हजार करोड़ कर्ज माफ हो चुका है.

  • उत्तर प्रदेश सरकार ने 36 हजार करोड़ कर्जमाफी का एलान किया है.

  • महाराष्ट्र सरकार ने भी किसानों का करीब 30 हजार करोड़ कर्ज माफ करेगी.

  • कर्जमाफी का वादा करके सत्ता में आयी पंजाब सरकार भी कर्जमाफी की तैयारी कर रही है.


इनमें से कोई भी राज्य ऐसा नहीं है जो खुद कर्ज में न दबा हो

  • पंजाब पर 1.25 लाख करोड़ का कर्ज है.

  • मध्य प्रदेश पर 1.11 लाख करोड़ का कर्ज है.

  • महाराष्ट्र पर 3.5 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है.

  • और उत्तर प्रदेश पर भी करीब 3.75 लाख करोड़ का कर्ज है.


यानी इन राज्यों में कर्जमाफी का मतलब होगा सरकार पर और ज्यादा आर्थिक बोझ. जानकारों का कहना है कि सरकार पर बोझ बढ़ेगा तो उसकी भरपाई टैक्सपेयर यानी आपके पैसे से ही होगी.

नाबार्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, 2015-16 में देशभर के किसानों पर कुल 8 लाख 77 हजार करोड़ का कर्ज बकाया है.  अभी दो राज्यों में कर्जमाफी के एलान के बाद अगर देश के सभी किसान कर्जमाफी की मांग करते हैं तो इसका मतलब है देश की अर्थव्यवस्था पर लगभग 9 लाख करोड़ का अतिरिक्त बोझ. जाहिर सी बात है ऐसा होने पर सरकार का राजस्व घाटा बढ़ेगा और दूसरी विकास योजनाएं प्रभावित होंगी.

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