नई दिल्ली: टीके का कोटा बढ़ाने के लिए राज्यों की मांग के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने गुरुवार को कहा कि इस तरह के आह्वान से "जनता के बीच एक संकीर्ण राजनीतिक धारणा बनती है, जो महामारी से निपटने के लिए सरकार के दृष्टिकोण को नुकसान पहुंचाती हैं.’’
महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, राजस्थान और दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्रियों और प्रधान सचिवों या अतिरिक्त मुख्य सचिवों के साथ बातचीत के दौरान हर्षवर्धन ने यह टिप्पणी की.
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक बयान में कहा गया कि विभिन्न राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों द्वारा उनके राज्यों के लिए टीके का कोटा बढ़ाने की मांग पर हर्षवर्धन ने उन पहलुओं के बारे में बताया जिससे टीकाकरण नीति तैयार की गयी.
हर्षवर्धन के हवाले से बयान में कहा गया, ‘‘88 प्रतिशत मौतें 45 से अधिक आयु समूह के लोगों में हुई जिसके कारण हमने क्रमिक तरीके से टीकाकरण अभियान को शुरू किया. हालांकि राज्य अपने हालात के हिसाब से अब सीधी खरीदारी के जरिए अन्य उम्र समूहों के लिए टीकाकरण कर सकते हैं. टीके की 70 प्रतिशत खुराकें आरक्षित करने के लिए दिशा-निर्देश तैयार हुआ तो दूसरी खुराक की उपलब्धता की कमी जैसे पहलुओं पर भी विचार किया गया.’’
हर्षवर्धन ने टीके की मासिक उत्पादन क्षमता के बारे में भी अवगत कराया और राज्यों को आश्वस्त किया कि टीके समान रूप से वितरित किए जाएंगे. बयान में कहा गया कि उत्पादन क्षमता तेजी से बढ़ायी जा रही है और मई तक यह आठ करोड़ और जून तक नौ करोड़ हो जाएगी.
बयान में कहा गया, ‘‘केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस तरह के आह्वान से "जनता के बीच संकीर्ण राजनीतिक धारणा बनती है जो महामारी से निपटने के लिए सरकार के दृष्टिकोण को नुकसान पहुंचाती है. राज्य के स्वास्थ्य मंत्रियों ने विदेशी निर्माताओं से टीके की खरीद के लिए एक समान नीति बनाने का आग्रह किया है.’’