नई दिल्ली: अब भारत में कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में डेक्सामेथासोन का भी इस्तेमाल होगा. इसको लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपनी क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल अनुमति दे दी है. ये दवा सिर्फ मॉडरेट और गंभीर रूप से बीमार मरीजों को सीमित मात्रा में दी जाएगी.


भारत लगातार बढ़ते कोरोना मामलों के बीच आज COVID 19 क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल में बदलाव किया गया. इस बदलाव में  कोरोना संक्रमित मरीजों को अब सीमित मात्रा में डेक्सामेथासोन के प्रयोग को मंजूरी दी गई है. हाल में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने इस दवा के कोरोना मरीजों के इस्तेमाल पर रिसर्च की थी और अच्छे नतीजे मिले थे.


स्वास्थ्य मंत्रालय ने अब ऑक्सीजन सपोर्ट वाले मॉडरेट और गंभीर स्थिति वाले कोरोना मरीजों को मेथिलप्रेडनिसोलोन के विकल्प के रूप में डेक्सामेथासोन देने का फैसला किया है. डेक्सामेथासोन एक स्टीरॉइड है. डेक्सामेथासोन 60 साल से ज्यादा समय से बाजार में उपलब्ध है और आमतौर पर सूजन कम करने के लिए  इसका उपयोग होता है.


हाल में ब्रिटेन में हुए एक क्लीनिकल ट्रायल में डेक्सामेथासोन को कोरोना की 'लाइफ़ सेविंग' दवा के रूप में पाया गया था. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्च के मुताबिक ये एंटी-इंफ्लेमेटरी स्टेरॉयड डेक्सामेथासोन का उपयोग गंभीर रूप से कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों की जान बचाने में कामयाब रहा है. इसके इस्तेमाल से वेंटिलेटर सपोर्ट पर रहने वाले मरीजों की मौत के मामले में एक तिहाई तक की कमी देखी गई है, वहीं ऑक्सीजन सपोर्ट वाले मरीजों में पांच में से एक मरीज को बचाया जा सका है. इस रिसर्च के सामने आने बाद डब्ल्यूएचओ ने डेक्सामेथासोन के उत्पादन में तेजी लाने की बात कही थी.


डॉ सुजीत झा, मैक्स हैल्थ केयर ने बताया कि ऑक्सफोर्ड स्टडी में पाया गया कि कोविड-19 के जो मरीज बीमार हैं जिन्हें वेंटीलेटर की, ऑक्सीजन की जरूरत है उन्हें डेथ कम पाए गए हैं, यानी इसका मतलब डेक्सामेथासोन से हर पेशेंट को फायदा है यह भी प्रूव नहीं हुआ है. प्रूव उनमें है जिनको स्वेलिंग है और वेंटिलेटर पर हैं. जिनको ऑक्सीजन सप्लाई करनी है लंके एडिमा को कम करना है जिसको इंग्लिश में एंटी इन्फ्लेमेटरी कहा जाता है यह करके उन्हें फायदा दिया जाता है.


डॉक्टरों का मानना है की डेक्सामेथासोन एक पावरफुल स्टेरॉयड है जो कि एंटी इन्फ्लेमेटरी का काम करता है. वहीं गंभीर रूप से बीमार मरीजों में कुछ इस तरह काम करेगी.


डॉ स्वाति माहेश्वरी, इंटरनल मेडिसिन, ने बताया, ''जो गंभीर रूप से बीमार लोग हैं उन में देखा गया है कि जो इम्यून सिस्टम है बॉडी की इम्युनिटी है बहुत ज्यादा तीव्र हो जाती है, उत्तेजित हो जाती है. ऐसे में शरीर का खुद नुकसान होने लगता है जिसे हम साइटोंकाइन स्टॉर्म बोलते हैं. इससे शरीर में खून के थक्के बनने लगते हैं किडनी पर असर पड़ता है इसीलिए लोगों में मृत्यु होती है. डेक्सामेथासोन के साथ खास तौर पर यह देखा जा रहा है यह साइटोंकाइन स्टॉर्म होता है, उत्तेजना जो होती है इम्यून सिस्टम की उसको दबाने में यह मदद करता है और इसीलिए देखा गया है हम इसका इस्तेमाल करें तो जो ज्यादा गंभीर रूप से बीमार हैं ऑक्सीजन थेरेपी चल रही है और उससे फायदा नहीं हो रहा है या किसी के एक्स-रे में दिख  रहा है कि लंग्स में इंफेक्शन बढ़ रहा है या कोई वेंटीलेटर पर आ चुका है ऐसे में डेक्सामेथासोन दवा का इस्तेमाल कर सकते हैं. और देखा गया है कि इसको देने से मृत्यु दर कम हो गई है.''


डेक्सामेथासोन दवा काफी लंबे समय से इस्तेमाल में ली जा रही है और ये दवा सालों से दी जाती है. वहीं ये बहुत ही सस्ती दवा है और बहुत आम तौर पर यूज होनेवाली दवा है. डेक्सामेथासोन एक स्टेरॉइड है जिसका इस्तेमाल सांस की समस्या, एलर्जिक रिएक्शन, ऑर्थराइटिस और सूजन के इलाज के लिए किया जाता है.


डॉ स्वाति माहेश्वरी, इंटरनल मेडिसिन ने बताया, “डेक्सामेथासोन का कई सालों से इस्तेमाल हो रहा है और कई बीमारियों में यह काम आती है. अस्थमा और सांस से जुड़ी बीमारी उसके अलावा गठिया, त्वचा के बीमारियों में डेक्सामेथासोन का पहले भी इस्तेमाल हो रहा है और अब इस दवा का कोरोना वायरस संक्रमण में गंभीर रूप से बीमार लोगों के लिए इस्तेमाल होगा यह सिर्फ गंभीर रूप से बीमार लोगों के लिए है.”


यह दवा पहली बार कोविड-19 के इलाज में इस्तेमाल की गई है. लेकिन ये दवा सिर्फ और सिर्फ डॉक्टरों की सलाह और उनके निर्देश पर ही लें क्योंकि इसके एडिक्शन और साइड इफेक्ट दोनों है.
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