नई दिल्लीः आज केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीती सुदन ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, बिहार और छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव और स्वास्थ्य सचिवों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक की. इन राज्यों में पिछले कुछ दिनों से लगातार मामले बढ़ते जा रहे हैं. प्रवासी श्रमिकों का वापस इन राज्यों में आना इसकी एक सबसे बड़ी वजह है. लगातार बढ़ते मामलों को कैसे रोका जाए और क्या कुछ करने की जरूरत है, इस पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चर्चा हुई.


बैठक में इन राज्यों में बढ़ते मामले, मृत्यु दर, डबलिंग रेट, टेस्टिंग और इलाज पर चर्चा हुई. बैठक केंद्र की तरफ से सलाह दो गई की आने वाले समय में मोबाइल मेडिकल यूनिट क्वारांटिन सेंटर पर तैनात किए जा सकते हैं. वहीं स्वास्थ्य सेवा केंद्रों पर अस्थायी उप-स्वास्थ्य केंद्र बनाया जाए और इसमें आरबीएसके टीमों जैसे फ्रंटलाइन श्रमिकों का उपयोग किया जा सकता है. साथ ही आयुष्मान भारत, स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों के साथ लिंक स्थापित करने की जरूरत है, ताकि तुरंत इन स्वास्थ्य केंद्रों पर टेली मेडिसिन की व्यवस्था शुरू की जा सके.


वहीं राज्यों सरकारों को अस्पताल, आईसीयू और वेंटिलेटर सुविधा को मजबूत करने को कहा गया है. वहीं आरोग्य सेतु से मिलनेवाले डाटा को भी इस्तेमाल करने के निर्देश दिए गए हैं. आने वाले प्रवासी श्रमिकों को देखते हुए आशा और एएनएम को अतिरिक्त प्रोत्साहन यानी इन्सेंटिव दिया जा सकता है. राज्यों को सलाह दी गई कि वे आउटरीच टीमों के संबंध में पीपीई दिशानिर्देशों दें. राज्यों को अपनी ताकत बढ़ाने के लिए एनओजी, एसएचजी, निजी अस्पतालों, स्वयंसेवी समूहों आदि में रस्सी लगाने के लिए कहा गया.


राज्यों को सलाह दी गई कि वे गर्भवती महिलाओं जैसे 5 साल से कम उम्र के बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर समूहों पर विशेष ध्यान दें और जिलों में आंगनवाड़ी कार्यबल को भी जुटाएं. वहीं पांच साल से कम उम्र के बच्चों के बीच पोषण की जांच की जानी चाहिए और उन्हें पोषण पुनर्वास केंद्रों (एनआरसी) में सिफारिश करनी चाहिए. मंत्रालय ने जोर देकर कहा कि टीबी, कुष्ठ रोग, सीओपीडी और हाई ब्लड प्रेशर और मधुमेह जैसे रोगों के लिए आवश्यक स्वास्थ्य कार्यक्रमों को जारी रखने के लिए तत्काल उपाय किए जाने की आवश्यकता है.


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