नई दिल्ली: एनआरसी यानी नेशनल रजिस्टर फॉर सिटीजंस देशभर में लागू होगा. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि जब एनआरसी की प्रक्रिया देशभर में होगी तो उस वक्त असम में भी स्वाभाविक तौर पर एक बार फिर की जाएगी. अमित शाह के इस बयान के बाद सवाल उठने लगे कि क्या अब आसम के बाद मोदी सरकार देश भर में एनआरसी लागू करने की तैयारी कर रही है.


असम में एनआरसी के मुद्दे पर विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर निशाना साधा रहा है और मोदी सरकार लगातार यही कहती रही है की एनआरसी के चलते किसी के साथ भी भेदभाव नहीं होगा. जो भी है साबित कर पाएगा कि वह देश का नागरिक है उसको देश में रहने का पूरा अधिकार होगा.


अमित शाह के बयान के बाद विपक्ष अब सरकार के ऊपर एनआरसी को लेकर राजनीति करने का आरोप भी लगाने लगा है साथ ही देशभर में एनआरसी लागू करने को लेकर भी सवाल उठने लगे. राज्यसभा में सवालों का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि विपक्ष एनआरसी और सिटीजनशिप को लेकर देश को गुमराह करने की कोशिश ना करे. दो अलग अलग विषय है जिनको अलग अलग ही रखा जाना चाहिए. राज्यसभा में विपक्षी सांसदों के सवालों का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि एनआरसी में धर्म के आधार पर चुनाव नहीं होगा जो लोग भारत के नागरिक हैं उन सबको एनआरसी में जगह मिलेगी.


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सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल
एनआरसी के बाद अमित शाह ने सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल (नागरिक संशोधन विधेयक) को लेकर भी सफाई दी. अमित शाह ने साफ किया कि एनआरसी और सिटीजनशिप बिल अलग अलग है. इसी दौरान कांग्रेसी सांसद सैयद नासिर हुसैन ने गृह मंत्री से सवाल पूछा कि आखिर जब गृह मंत्री देश में सिख, बौद्ध, ईसाई, जैन और पारसी शरणार्थियों को शरणार्थी दर्जा देने की बात करते हैं तो उसमें मुस्लिमों का नाम क्यों नहीं लेते. कांग्रेस सांसद की दलील थी कि हमारे संविधान में सभी धर्मों को समान अधिकार दिए गए हैं जो आखिर यहां पर मुस्लिमों को वह अधिकार क्यों नहीं दिया जा रहा?


कांग्रेस के सांसद के सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इन सभी लोगों की बात सिटीजनशिप बिल के तहत होती है. क्योंकि सरकार मानती है हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी जो शरणार्थी हैं वो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे मुस्लिम आबादी बहुल देशों से आए हैं और यह सभी लोग वहां पर अल्पसंख्यक थे भारत सरकार उनको शरणार्थी का दर्जा देकर नागरिकता देने की बात करती है.


सरकार की तरफ इसको लेकर और सफाई देते हुए कहा गया कि मुस्लिमों का नाम इस वजह से भी इसमें नहीं है क्योंकि सरकार मानती है कि मुस्लिम बाहुल्य देशो में मुस्लिम सुरक्षित हैं और अल्पसंख्यक असुरक्षित इस वजह से उनका जिक्र नहीं किया जाता. इसी दौरान राज्यसभा के चेयरमैन और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि हमारे देश के सभी नागरिक समान हैं. यहां पर किसी भी तरह से भेदभाव नहीं हो सकता.