पश्चिम बंगाल सरकार और केंद्र के बीच चल रही तनातनी धीरे-धीरे प्रशासनिक विवाद में बदल रही है. जिसका खामियाजा राज नेताओं को तो नहीं लेकिन नौकरशाहों को उठाना पड़ सकता है. पश्चिम बंगाल के 5 अधिकारियों के दिल्ली आने के संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय कड़ा एक्शन लेने पर कानूनी सलाह ले रहा है.
वहीं ममता सरकार की पुलिस ने आयकर विभाग के तीन अधिकारियों को एक ऐसे मामले में पूछताछ के नोटिस जारी कर दिए हैं जिसमें शिकायतकर्ता अपनी शिकायत 1 साल पहले ही वापस ले चुका है. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के दो दिवसीय बंगाल दौरे के बीच शुरू हुआ विवाद अब धीरे-धीरे पश्चिम बंगाल सरकार और केंद्र के बीच प्रशासनिक और कानूनी जंग का रूप ले सकता है.
ममता सरकार ने अधिकारियों को दिल्ली जाने से रोका
इसकी वजह ये है कि इस मामले में पश्चिम बंगाल के गवर्नर की कानून व्यवस्था पर रिपोर्ट मिलने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने डीजीपी और मुख्य सचिव समेत पश्चिम बंगाल के पांच अधिकारियों को दिल्ली बुलाया था. इनमें से तीन अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर आने संबंधी निर्देश भेजे गए थे. अभी तक की जानकारी के मुताबिक ममता सरकार ने इन पांचों अधिकारियों को दिल्ली भेजने से साफ तौर पर मना कर दिया है. साथ ही आज जिन दो अधिकारियों को पेश होना था वह भी पेश नहीं हुए.
ऐसे में केंद्रीय गृह मंत्रालय इन अधिकारियों के खिलाफ क्या कड़ी कार्रवाई की जा सकती है उस पर कानूनी सलाह ले रहा है. क्योंकि अगर केंद्र से इन अधिकारियों को निलंबित किया जाता है तो ममता सरकार उस निलंबन को अपने यहां लागू नहीं करेगी. साथ ही एक बार फिर केंद्र और राज्य के बीच प्रशासनिक टकराव उग्र रूप धारण कर सकता है. केंद्र सरकार और राज्य की इस तनातनी के बीच तमाम नियम कानूनों को भी ताक पर रख दिया गया है. 8000 करोड़ रुपए का घोटाले का पर्दाफाश करने वाले आयकर विभाग के अधिकारी ममता सरकार की पुलिस के उन सम्मनों का सामना कर रहे हैं जिस मामले में शिकायतकर्ता 1 साल पहले ही अपनी शिकायत वापस ले चुका है.
फर्जी कंपनियों के सहारे ₹8000 करोड़ का घोटाला करने वाली कई कंपनियों पर कार्रवाई की गई थी
आयकर विभाग से जुड़ा मामला साल 2019 का है जब महाराष्ट्र सरकार की महाराष्ट्र में तैनात आयकर विभाग की टीम ने अनेक राज्यों में छापे मारकर फर्जी कंपनियों के सहारे ₹8000 करोड़ का घोटाला करने वाली अनेक कंपनियों पर कार्रवाई की थी. इसमें कोलकाता का एक शेयर ब्रोकर भी शामिल था अपनी छापेमारी के पहले 2 दिसंबर 2019 को आयकर विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने कोलकाता पुलिस के एडीजी कानून व्यवस्था को बाकायदा इस बात की जानकारी दी थी कि आयकर विभाग की टीम में छापामारी करने जा रही हैं और उन्हें पुलिस सुरक्षा प्रदान की जाए.
साथ ही कोलकाता के हारे पुलिस स्टेशन को भी 3 दिसंबर को छापेमारी के पहले आयकर अधिकारियों ने सूचना दी थी कि उनके इलाके में छापेमारी करने जा रहे हैं. देश भर में चली छापेमारी के बीच 5 दिसंबर को कोलकाता में एक शेयर ब्रोकर ने आयकर अधिकारियों से खुद को मारपीट किए जाने और जान से मारने की धमकी का मामला पुलिस में दर्ज कराया जिसे कोलकाता पुलिस ने तत्काल दर्ज कर लिया.
कोलकाता पुलिस ने आयकर विभाग के अधिकारियों को धमकाना किया शुरू
दस्तावेज के मुताबिक उक्त शेयर ब्रोकर ने 15 दिसंबर 2019 को कोलकाता पुलिस से अपनी शिकायत वापस लेने को कहा है. दिलचस्प है कि कोलकाता पुलिस ने इस मामले में पूरे 1 साल तक कोई कार्यवाही नहीं की लेकिन जैसे ही केंद्र और राज्य के बीच विवाद शुरू हुआ तो कोलकाता पुलिस ने इसी महीने की शुरुआत में महाराष्ट्र आयकर विभाग के अधिकारियों को धमकाना शुरू किया. उनका कहना था कि जो मामला पिछले साल उनके खिलाफ दर्ज हुआ था उसमें उनकी गिरफ्तारी हो सकती है. इस धमकी के बाद आयकर विभाग के अधिकारी कोलकाता हाईकोर्ट चले गए जहां कोर्ट ने कोलकाता पुलिस को इस मामले को जल्द निपटाने के निर्देश दिए. दिलचस्प यह भी है कि केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार दोनों ही अपने अपने द्वारा उठाए गए कदमों को कानून के तहत बता रही हैं.
पश्चिम बंगाल सरकार और केंद्र के बीच हुए इस विवाद में पिसना सरकारी बाबू को ही पड़ रहा है. एक तरफ जहां पश्चिम बंगाल के पांच अधिकारियों पर निलंबन और पदोन्नति ना होने की तलवार लटक गई है. वहीं ममता सरकार की पुलिस ने भी आयकर विभाग के तीन अधिकारियों पर गिरफ्तारी की तलवार लटका दी है. ऐसे में सवाल उठता है कि सरकारी बाबू आखिर जाएं तो जाएं कहां.
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