'सुप्रीम कोर्ट को जमानत याचिकाओं और छोटे मामलों की सुनवाई से बचना चाहिए'- संसद में बोले कानून मंत्री
Union Law Minister Kiren Rijiju: कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि अगर हम एकजुट होकर काम करेंगे तो आने वाले दिनों में भारत दुनिया का आर्बिट्रेशन सेंटर जरूर बनेगा.
Union Law Minister Kiren Rijiju: केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच कई मुद्दों पर चल रही तनातनी के बीच कानून मंत्री ने जमानत याचिकाओं को लेकर एक बड़ा बयान दिया है. जिसमें उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट को जमानत याचिकाओं और छोटे मामलों पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए. किरेन रिजिजू ने सुप्रीम कोर्ट में लंबित पड़े हजारों मामलों का जिक्र करते हुए ये बयान दिया.
नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र संशोधन विधेयक 2022 (New Delhi International Arbitration Centre Bill-2022) पर सरकार का पक्ष रखते हुए कानून मंत्री रिजिजू ने राज्यसभा में ये बात कही. इस विधेयक को बुधवार 14 दिसंबर को ध्वनिमत से पारित किया गया.
कानून मंत्री ने बताया क्यों बदला गया नाम
इस दौरान कानून मंत्री ने कहा कि अगर हम एकजुट होकर काम करेंगे तो आने वाले दिनों में भारत दुनिया का आर्बिट्रेशन सेंटर जरूर बनेगा. कोई कह सकता है कि नाम क्यों बदला जा रहा है, मैं ये मानता हूं कि नाम में बहुत कुछ रखा होता है. अच्छे नाम से अच्छा काम भी होता है. हम कोई सिंगापुर नहीं हैं, यहां देश ही शहर है. बता दें कि मध्यस्थता केंद्र का नाम अब नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र से बदलकर भारत अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र किया गया है.
कानून मंत्री ने कहा, हमारे देश में कई ऐसे सेंटर हैं जहां आर्बिट्रेशन का काम चल रहा है, लेकिन जो मूल कारण है उसे नहीं देखा गया. हमारे देश के लोग अलग-अलग देशों में जाते हैं. इस पहल के बाद हम कई बदलाव देखेंगे. हम दुनिया की बिजनेस कम्युनिटी को इंडिया में बुला सकते हैं. आर्बिट्रेशन सेंटर्स की क्वालिटी को लेकर कानून मंत्री ने कहा कि हमें इस क्षेत्र में कई सालों तक काम करना चाहिए था. 2016 में जो पीएम मोदी ने एलान किया कि भारत को खुद निर्भर होना पड़ेगा और भारत को दुनिया का आर्बिट्रेशन सेंटर बनना ही होगा. उसके बाद ये पहल शुरू हुई.
कोर्ट में ट्रायल पर उठाए सवाल
कानून मंत्री ने कहा कि भारत में सबसे बड़ी समस्या ये है कि भारत में कोई फैसला आता है तो वो उच्च न्यायालय में जाएगा, इसके बाद सुप्रीम कोर्ट जाएगा. इसीलिए लोग सोचते हैं कि भारत जाकर तो फंसने जैसा है. मैं उस रास्ते पर नहीं जाना चाहता हूं, मैं ये नहीं कह सकता हूं कि संविधान में संशोधन करके कोर्ट के अधिकार को कम करना चाहते हैं. लेकिन ये गंभीर चिंता का विषय है. अगर किसी फोरम में किसी केस का फैसला आ जाता है तो फिर से उसे अदालत में ट्रायल करना गलत है. इस दौरान कानून मंत्री ने लंदन, सिंगापुर और तमाम देशों का जिक्र किया.
जजों को लेकर रिजिजू ने कहा कि जो भी सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज हैं, वो सभी आर्बिट्रेशन के पक्ष में हैं. क्योंकि उससे महीने में करोड़ों की कमाई होती है. न्याय के लिए अगर खर्चा करना पड़े तो लोग ऐसी जगह जाएंगे जहां कम पैसा लगे. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस पर जल्द से जल्द काम करना शुरू करेंगे.
बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने जमानत याचिकाओं को लेकर कहा था कि छोटी अदालतों के जज जमानत याचिकाओं पर फैसला देने से घबराते हैं. इसकी वजह है कि वो जघन्य अपराध वाले मामले में निशाना बनाए जाने से घबराते हैं. जस्टिस चंद्रचूड़ लगातार सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों को निपटाने पर काम कर रहे हैं और इसे लेकर चिंता भी जता चुके हैं.