'जजों की नियुक्ति को लेकर सरकार के पास सीमित अधिकार...' कोर्ट में लंबित मामलों को लेकर बोले कानून मंत्री
Kiren Rijiju On Collegium: कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने अपने ताजा बयान में कहा कि जब तक जजों की नियुक्ति को लेकर हम नई व्यवस्था खड़ी नहीं करेंगे तब तक यह सवाल खड़ा होता रहेगा.
Kiren Rijiju On Collegium: केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने अदालत में लंबित मामलों को लेकर एक बार फिर से बयान दिया है. कानून मंत्री ने कहा कि जजों की नियुक्ति को लेकर सरकार के पास सीमित अधिकार है. उन्होंने कहा, "लेकिन जजों की नियुक्ति कॉलेजियम (Collegium) के सुझाव के आधार पर ही हो सकती है." सरकार ने कॉलेजियम से कहा था कि वह ऐसे नाम भेजें जो समाज के सभी तबकों का प्रतिनिधित्व करें, लेकिन कई बार वैसा नहीं हो पाता. इस वजह से ये अधिकार पूरी तरह से हमारे हाथ में भी नहीं है.
दरअसल, किरेन रिजिजू ने पिछले दिनों एक टीवी डिबेट में कहा था कि अगर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) कॉलेजियम को लगता है कि सरकार की ओर से उसकी सिफारिशों में फैसला नहीं लिया जा रहा है तो वह जजों की नियुक्ति पर नोटिफिकेशन जारी कर दें. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट कानून मंत्री के इस बयान का अदालत में सुनवाई के दौरान जिक्र होने पर इसे खारिज कर दिया.
क्या बोले कानून मंत्री?
कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने अपने ताजा बयान में कहा कि जब तक जजों की नियुक्ति को लेकर हम नई व्यवस्था खड़ी नहीं करेंगे तब तक यह सवाल खड़ा होता रहेगा. उन्होंने कहा कि यह कहने में उन्हें गुरेज नहीं है कि, जो देश की भावना है उस हिसाब से हमारे पास व्यवस्था नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को रिटायर होने के बाद 5 साल तक सुरक्षा दी जाएगी तो वहीं अन्य सुप्रीम कोर्ट के जजों को रिटायर होने के बाद 3 साल तक सुरक्षा मिलेगी.
कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि एनजेएसी को खारिज करने वाला फैसला सही नहीं था. इसे लेकर कई जगहों पर बात कही गई है. यह समाज और देश की भावना के खिलाफ था. उन्होंने कहा कि एक मुद्दा है जिस पर न्यायपालिका और विधायिका के बीच लगातार विवाद चल रहा है. कानून मंत्री के इस बयान के बाद एक बार फिर से विवाद बढ़ सकता है.
SC में लंबित मामलों पर बोले किरेन रिजिजू
इससे पहले गुरुवार (15 दिसंबर) को कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने जमानत याचिकाओं को लेकर एक बड़ा बयान दिया. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में लंबित पड़े हजारों मामलों का जिक्र करते हुए कहा कि सर्वोच्च अदालत को जमानत याचिकाओं और छोटे मामलों पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए. कानून मंत्री ने कहा कि भारत की सबसे बड़ी समस्या यह है कि कोई फैसला आता है तो वो पहले हाईकोर्ट में फिर उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में जाएगा. ये गंभीर चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि अगर किसी फोरम में किसी केस का फैसला आ जाता है तो फिर से उसे अदालत में ट्रायल करना गलत है. इस दौरान कानून मंत्री ने लंदन, सिंगापुर और तमाम देशों का जिक्र किया.
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