Judge Collegium System: केंद्र सरकार जजों के कॉलेजियम सिस्टम को पुनर्गठित करना चाहती है. केंद्रीय कानून मंत्री ने इसे लेकर सीजेआई (CJI) को पत्र लिखा है. केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर कहा है कि वह जजों को चुनने के लिए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) को फिर से शुरू करने का समर्थन करते हुए न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली से संतुष्ट नहीं हैं.
मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र में रिजिजू ने जजों की नियुक्ति के कॉलेजियम सिस्टम में सरकार के प्रतिनिधियों को शामिल करने की वकालत की. केंद्र के अनुसार, ये न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में अदालत की निर्णय लेने की प्रक्रिया में जनता के प्रति पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देगा.
क्या कहा कानून मंत्री ने?
सोमवार (16 जनवरी) को न्यूज़ एजेंसी एएनआई से केंद्रीय कानून मंत्री रिजिजू ने कहा, "यह राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के निर्देश के बाद सीजेआई को पहले लिखे गए पत्रों की फॉलो-अप कार्रवाई है. सुप्रीम कोर्ट संविधान पीठ ने कॉलेजियम सिस्टम के एमओपी का पुनर्गठन करने का निर्देश दिया था."
"इस मामले पर राजनीति नहीं करनी चाहिए"
कानून मंत्री ने इससे पहले सोमवार को ट्विटर पर लिखा, "माननीय सीजेआई को लिखे पत्र की बातें बिल्कुल सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ की टिप्पणियों और निर्देशों के अनुरूप है. इस मामले पर राजनीति नहीं करनी चाहिए, खासकर कि न्यायपालिका के नाम पर. भारत का संविधान सर्वोच्च है और कोई भी इससे ऊपर नहीं है."
संविधान पीठ ने दिया था ये निर्देश
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कॉलेजियम सिस्टम के मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर (MoP) के पुनर्गठन का निर्देश दिया था. एमओपी एक दस्तावेज है जो उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय में जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया को निर्धारित करता है.
वर्तमान कॉलेजियम सिस्टम के तहत, भारत के मुख्य न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों के साथ न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण की सिफारिश करते हैं. सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान कॉलेजियम में मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ और जस्टिस संजय किशन कौल, केएम जोसेफ, एमआर शाह, अजय रस्तोगी और संजीव खन्ना शामिल हैं.
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