नई दिल्ली: केरल विधानसभा में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को वापस लेने की मांग वाला एक प्रस्ताव पारित हो गया. राज्य में सत्तारुढ़ माकपा नीत एलडीएफ और विपक्षी कांग्रेस नीत यूडीएफ ने सीएए के खिलाफ पेश प्रस्ताव का समर्थन किया. वहीं, बीजेपी के एकमात्र विधायक ओ राजगोपाल ने इसका विरोध किया. यह विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र था. यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने पेश किया था.


माकपा सरकार के इस रुख पर केंद्रीय कानून मंत्री और बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि नागरिकता पर सिर्फ संसद को कोई कानून पारित का अधिकार है, विधानसभा को नहीं. उन्होंने कहा, ''सीएए किसी भारतीय नागरिक से संबद्ध नहीं है. यह किसी भारतीय को न तो नागरिकता देता है, ना ही इसे छीनता है.'' प्रसाद ने कहा कि निहित स्वार्थी तत्व बहुत दुष्प्रचार कर रहे हैं. सीएए बिल्कुल संवैधानिक और कानूनी है.


क्या कहा CM विजयन ने?
प्रस्ताव को पेश करते हुए विजयन ने कहा कि सीएए ‘‘धर्मनिरपेक्ष’’ नजरिए और देश के ताने बाने के खिलाफ है और इसमें नागरिकता देने में धर्म के आधार पर भेदभाव होगा. उन्होंने कहा, ‘‘यह कानून संविधान के आधारभूत मूल्यों और सिद्धांतों के विरोधाभासी है.’’


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विजयन ने कहा, ‘‘देश के लोगों के बीच चिंता को देखते हुए केंद्र को सीएए को वापस लेने के कदम उठाने चाहिए और संविधान के धर्मनिरपेक्ष नजरिए को बरकरार रखना चाहिए.’’ विजयन ने विधानसभा को यह भी आश्वासन दिया कि इस दक्षिणी राज्य में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं खोला जाएगा.


बता दें कि नागरिकता संशोधन बिल (सीएबी) के कानून बनने के बाद विपक्षी दल इसे एनआरसी से जोड़ रहे हैं और देश भर के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन हो रहे हैं. गैर-बीजेपी शासित राज्य इसके खिलाफ ज्यादा मुखर रहे हैं. इसी के मद्देनजर केरल ने CAA के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया है.


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