कोटे में कोटा पर चिराग पासवन ने भी खोला मोर्चा, कहा- सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं, डालेंगे रिव्यू पिटीशन
Supreme Court News: CJI की अगुवाई वाली 7 जजों की संविधान पीठ ने 1 अगस्त को कहा था कि राज्य इन समूहों में सबसे वंचित जातियों के लिए कोटा तय करने के लिए एससी और एसटी को और उप-वर्गीकृत कर सकते हैं.
Chirag Paswan Oppose Supreme Court Decision: एससी-एसटी में क्रीमी लेयर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान भी उतर गए हैं. उन्होंने इस पर कहा, "हम भी सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से असहमत हैं और हमने इस असहमति को प्रमुखता से दर्ज किया है. हम इस बात को लेकर स्पष्ट हैं कि अनुसूचित जाति का आधार छुआछूत है. इसका शैक्षणिक या आर्थिक आधार नहीं है. ऐसे में इसमें क्रीमी लेयर का प्रावधान नहीं हो सकता,
चिराग पासवान ने कहा कि आरक्षण के अंदर आरक्षण सही नहीं है, क्योंकि आज भी दलित युवक का उदाहरण दिया जाता है, जिसे घोड़ी चढ़ने से रोका जाता है... ऐसे कई बड़े नाम हैं, जो ऊंचे पदों पर हैं, लेकिन उनके मंदिर जाने पर भी मंदिर को गंगा जल से धोया जाता है, इसलिए आज भी छुआछूत के आधार पर भेदभाव होता है... हम, एलजेपी (रामविलास) इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका भी दाखिल करने जा रहे हैं..."
#WATCH | Patna: On the Supreme Court's observation on the creamy layer in SC-ST, Union Minister Chirag Paswan says, "We also disagree with the observation of the Supreme Court and we have registered this disagreement prominently. We are clear about this that the basis of… pic.twitter.com/hNEAzU4zDm
— ANI (@ANI) August 4, 2024
रामदास अठावले भी कर चुके हैं विरोध
बता दें कि एनडीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले भी इस फैसले का विरोध कर चुके हैं. उन्होंने शुक्रवार (2 अगस्त 2024) को ऐसे किसी कदम का विरोध किया. बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए में शामिल रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) के चीफ रामदास अठावले ने कहा था कि एससी/एसटी के लिए आरक्षण जाति पर आधारित है. एससी और एसटी के लिए आरक्षण में क्रीमी लेयर के मानदंड लागू करने के किसी भी कदम का हमारी पार्टी कड़ा विरोध करेगी.
क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने?
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली 7 जजों की संविधान पीठ ने गुरुवार (1 अगस्त 2024) को 6:1 बहुमत से फैसला सुनाया था. इसमें उन्होंने कहा था कि राज्य इन समूहों में सबसे वंचित जातियों के लिए कोटा सुनिश्चित करने के लिए एससी और एसटी को और उप-वर्गीकृत कर सकते हैं. इस फैसले का समर्थन करने वाले 6 में से 4 जजों ने अलग-अलग फैसले लिखे, जिसमें क्रीमी लेयर को आरक्षण लाभ से बाहर रखने का सुझाव दिया गया.
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