Chirag Paswan Oppose Supreme Court Decision: एससी-एसटी में क्रीमी लेयर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान भी उतर गए हैं. उन्होंने इस पर कहा, "हम भी सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से असहमत हैं और हमने इस असहमति को प्रमुखता से दर्ज किया है. हम इस बात को लेकर स्पष्ट हैं कि अनुसूचित जाति का आधार छुआछूत है. इसका शैक्षणिक या आर्थिक आधार नहीं है. ऐसे में इसमें क्रीमी लेयर का प्रावधान नहीं हो सकता,


चिराग पासवान ने कहा कि आरक्षण के अंदर आरक्षण सही नहीं है, क्योंकि आज भी दलित युवक का उदाहरण दिया जाता है, जिसे घोड़ी चढ़ने से रोका जाता है... ऐसे कई बड़े नाम हैं, जो ऊंचे पदों पर हैं, लेकिन उनके मंदिर जाने पर भी मंदिर को गंगा जल से धोया जाता है, इसलिए आज भी छुआछूत के आधार पर भेदभाव होता है... हम, एलजेपी (रामविलास) इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका भी दाखिल करने जा रहे हैं..."




रामदास अठावले भी कर चुके हैं विरोध


बता दें कि एनडीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले भी इस फैसले का विरोध कर चुके हैं. उन्होंने शुक्रवार (2 अगस्त 2024) को ऐसे किसी कदम का विरोध किया. बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए में शामिल रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) के चीफ रामदास अठावले ने कहा था कि एससी/एसटी के लिए आरक्षण जाति पर आधारित है. एससी और एसटी के लिए आरक्षण में क्रीमी लेयर के मानदंड लागू करने के किसी भी कदम का हमारी पार्टी कड़ा विरोध करेगी.


क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने?


सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली 7 जजों की संविधान पीठ ने गुरुवार (1 अगस्त 2024) को 6:1 बहुमत से फैसला सुनाया था. इसमें उन्होंने कहा था कि राज्य इन समूहों में सबसे वंचित जातियों के लिए कोटा सुनिश्चित करने के लिए एससी और एसटी को और उप-वर्गीकृत कर सकते हैं. इस फैसले का समर्थन करने वाले 6 में से 4 जजों ने अलग-अलग फैसले लिखे, जिसमें क्रीमी लेयर को आरक्षण लाभ से बाहर रखने का सुझाव दिया गया.


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