केंद्रीय शहरी विकास राज्य मंत्री कौशल किशोर का कहना है कि नशे से मुक्ति के लिए कठोर क़ानून या शराबबंदी नहीं बल्कि लोगों में जागरूकता की ज़रूरत है. कौशल किशोर ने अपनी बात के समर्थन में गुजरात और बिहार में लागू शराबबंदी का हवाला दिया.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दोनों राज्यों में शराबबंदी लागू है लेकिन सबको पता है कि दोनों राज्यों में अवैध रूप से ब्लैक में शराब मिलती है. उन्होंने कहा कि ऐसे में केवल क़ानून बनाना नशे की समस्या का समाधान नहीं है.
नशे की लत के खिलाफ अभियान की घोषणा
कौशल किशोर ने नशा मुक्ति समाज नाम की एक संस्था के बैनर तले समाज में फैले नशे की लत के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए एक अभियान चलाने की घोषणा की है. इस अभियान के तहत आज़ादी के 75 साल पूरे होने के अवसर पर 75 लाख लोगों को नशे के ख़िलाफ़ शपथ दिलाने का लक्ष्य रखा गया है.
उत्तरप्रदेश के मोहनलाल लोकसभा क्षेत्र से सांसद कौशल किशोर ने नशा मुक्ति अभियान का जो लक्ष्य रखा है उसके पीछे उनका एक निजी कारण भी है. दरअसल पिछले साल कौशल किशोर के 28 वर्षीय पुत्र की मृत्यु शराब के सेवन के चलते हुई लीवर की बीमारी से हो गई. किशोर का कहना है कि उस घटना ने उन्हें झकझोर दिया. उनके मुताबिक़ बेटे के चिता को अग्नि देते समय ही उनके मन में नशा मुक्ति अभियान चलाने का ख्याल आया था.
दोनों पति-पत्नी चलाएंगे अभियान
कौशल किशोर की पत्नी उत्तरप्रदेश में मलीहाबाद विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं और दोनों मिलकर इस अभियान को चलाएंगे. कौशल किशोर के मुताबिक़ पहले पंजाब के 25 से 35 फ़ीसदी नौजवान सेना में भर्ती होते थे लेकिन अब नशे की लत के चलते महज 5 फ़ीसदी नौजवान ही सेना में भर्ती होने जाते हैं.
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