नई दिल्ली: यौन हिंसा के ताजा आरोपों में घिरे केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री और पूर्व पत्रकार एमजे अकबर से कांग्रेस ने इस्तीफे की मांग की है. कांग्रेस नेता जयपाल रेड्डी ने कहा, ''अकबर पर लगे आरोप गंभीर हैं. इस पर उन्हें स्पष्टीकरण देना चाहिए या फिर इस्तीफे की पेशकश करनी चाहिए. हम पूरे मामले की जांच की मांग करते हैं.'' छह पूर्व महिला पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर चल रहे #MeToo मुहीम के तहत एमजे अकबर पर आरोप लगाए हैं.
सबसे पहले आरोप लगाने वाली पत्रकार में प्रिया रमानी हैं. जिन्होंने यौन उत्पीड़न की पूरी कहानी सोशल मीडिया पर शेयर की. साथ ही उन्होंने अन्य महिला पत्रकारों से अपील की कि उनके साथ अगर गलत व्यवहार किया गया है तो उसे साझा करें.
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मंगलवार को अपने जूनियर मंत्री अकबर के विरुद्ध लगे आरोपों पर मीडिया को कोई जवाब नहीं दिया. पत्रकारों ने उनसे जब जोर देकर पूछा कि क्या इस मामले में कोई जांच होगी, तो वह बिना उत्तर दिए वहां से चली गईं.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने यौन उत्पीड़न की शिकार महिला पत्रकारों का पुरजोर समर्थन करते हुए मीडिया संस्थानों से अपील की कि वे ऐसे सभी मामलों में बिना भेदभाव के जांच करें. गिल्ड ने एक बयान में कहा कि यौन उत्पीड़न के दोषी पाए गए किसी भी शख्स को कानून के हिसाब से दंडित किया जाना चाहिए. देश में प्रेस की आजादी के लिए निष्पक्ष, न्यायोचित और काम का सुरक्षित माहौल जरूरी है.
रमानी ने सोमवार को एक लेख के बारे में ट्वीट किया, जिसे उन्होंने 2017 में वोग पत्रिका के लिए लिखा था. उन्होंने कहा, "मैंने अपने इस लेख की शुरुआत मेरी एमजे अकबर स्टोरी के साथ की थी. उनका नाम कभी नहीं लिया क्योंकि उन्होंने कुछ 'किया' नहीं था." उन्होंने अकबर को 'प्रेडेटर' भी कहा.
रमानी ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा, "एक छोटी कहानी ऐसे की तरफ से जिसने उनके साथ काम किया था. एमजे अकबर कभी अवसर को नहीं चूकते थे." अनाम महिला पत्रकार की स्टोरी में अकबर का नाम तो नहीं लिया गया, लेकिन उन्हें बांबे, दिल्ली और लंदन से एकसाथ प्रकाशित होने वाले अखबार (एशियन एज) का बॉस कह कर संबोधित किया गया. पत्रकार ने कहा कि उसे होटल की लॉबी में घंटों इंतजार करना पड़ा और जब वह अपनी बैठकें कर रात 9.30 बजे वापस आए तो उससे पूछा गया कि क्या वह यहां रुकना चाहती है.
पत्रकार ने कहा कि 'जब मैंने मना किया तो उन्होंने शालीनतापूर्वक मुझसे कहा कि कार्यालय की कार ले जाओ और मुझे घर भेजा. लेकिन, इस घटना के बाद मैं कभी उनके पसंद के लोगों में नहीं रही.'
बिंद्रा ने रविवार को अकबर के विरुद्ध आरोप लगाए थे लेकिन उनका नाम नहीं लिया और कहा था, "वह एक प्रतिभावान, चमकीले संपादक थे जो राजनीति में चले गए. आधी रात का संस्करण पूरा करने के बाद उन्होंने मुझे अपने पहले काम की चर्चा के लिए अपने होटल रूम में बुलाया था..जब मैंने मना कर दिया तो उन्होंने मेरे काम के समय मेरी जिंदगी को नरक बना दिया. कई सारी बाध्यताओं की वजह से बोल नहीं सकी. लेकिन हां, मी टू इंडिया."
मंगलवार को बिंद्रा ने उनका नाम लिया और सिलसिलेवार ट्वीट किए. उन्होंने कहा, "वह एमजे अकबर थे. मैं इसे हल्के में नहीं कह रही हूं..मैं फर्जी आरोपों का परिणाम जानती हूं. इस घटना को हुए 17 वर्ष हो गए और मेरे पास कोई ठोस सबूत नहीं है. लेकिन तब मैं कम उम्र की थी, तुरंत ही फीचर संपादक बनी थी, हमारे प्रतिभावान संपादक और संवेदनशील संपादक से प्रभावित थी."
बिंद्रा ने कहा, "लेकिन महान व्यक्तियों की भी कमजोरी होती है. मैंने इस स्टोरी के बारे में पहले के ट्वीट में लिखा है. मैंने हमारी बातचीत को इंज्वॉय किया-वह विनोदपूर्ण और बुद्धिमान थे, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैं उपलब्ध थी. मैंने जब रात में होटल जाने से मना कर दिया, तो चीजें खराब हो गईं."
उन्होंने कहा, "एक बार जब पूरी फीचर टीम के साथ हम बैठक कर रहे थे, उन्होंने भद्दी टिप्पणी की. एक लड़की ने मुझे कहा कि उसे भी अकबर ने होटल बुलाया था. मैं शहर में अकेली थी, निजी तौर पर लड़ाइयां लड़ रही थी. मैं शांत रही."
बिंद्रा ने कहा, "एक बार मैं मुंबई मंत्रालय एक स्टोरी के सिलसिले में गई और एक अधिकारी ने मुझे जबरन पकड़ने की कोशिश की. मैंने सोचा कि इसकी शिकायत मैं किससे करूं, मेरा संपादक भी तो ऐसा ही है. मैं एए से चली गई. अधिकारी के भ्रष्टाचार के बारे में पता किया, लेकिन अगले अखबार ने इसे छापने से मना कर दिया."
पत्रकार ने कहा कि वह वर्षो तक अकबर के संपर्क में रहीं लेकिन 'बिना उनके प्रति किसी सम्मान के साथ'. बीजेपी नेताओं ने 'मी टू' अभियान पर अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं दी हैं. महिला व बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने इसका समर्थन किया है.
उन्होंने इस बारे में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में कहा, "जो भी पावर में होते हैं, हमेशा इसका प्रयोग करते हैं, चाहे यह फिल्म हो, मीडिया हो या कोई भी इंडस्ट्री हो. जब भी कोई महिला ऐसा कोई आरोप लगाती है, उसे हमें काफी गंभीरता से लेना चाहिए."
बीजेपी के सांसद उदित राज ने हालांकि इस अभियान को लेकर सवाल उठाए और कहा कि क्यों महिलाएं 10 साल बाद अपनी कहानियों को लेकर सामने आ रहीं हैं. उन्होंने साथ ही कहा कि यह 'एक गलत चलन की शुरुआत है.' उन्होंने कहा कि यह नहीं भूलना चाहिए कि जिस पर आरोप लगाया जा रहा है, उसकी सार्वजनिक छवि धूमिल हो सकती है.