करीमनगर(तेलंगाना): केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने कांग्रेस और उसके सहयोगियों पर झूठ बोलने और सीएए एवं एनआरसी के बारे में मुसलमानों के मन में डर पैदा करने की कोशिश करने का सोमवार को आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि इनके तहत किसी को भी देश से बाहर नहीं भेजा जाएगा.


उन्होंने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि ये पार्टियां संशोधित नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिक पंजी का विरोध इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उनकी नजर "मुस्लिम वोट बैंक" पर है.उन्होंने दावा किया कि ये कानून महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल और राजेंद्र प्रसाद के सपनों को पूरा करेंगे.


क्या है नागरिकता संशोधन बिल 2016?


भारत देश का नागरिक कौन है, इसकी परिभाषा के लिए साल 1955 में एक कानून बनाया गया जिसे 'नागरिकता अधिनियम 1955' नाम दिया गया. मोदी सरकार ने इसी कानून में संशोधन किया है जिसे 'नागरिकता संशोधन बिल 2016' नाम दिया गया है. संशोधन के बाद ये बिल देश में छह साल गुजारने वाले अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के छह धर्मों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और इसाई) के लोगों को बिना उचित दस्तावेज के भारतीय नागरिकता देने का रास्ता तैयार करेगा. पहले'नागरिकता अधिनियम 1955' के मुताबिक, वैध दस्तावेज होने पर ही ऐसे लोगों को 12 साल के बाद भारत की नागरिकता मिल सकती थी.


पुर्वोत्तर में विरोध का कारण क्या है
 नए नागरिकता कानून के मुताबकि बांग्लादेश, अफगानिस्तान, पाकिस्तान से आए हिंदू-जैन-बौद्ध-ईसाई-पारसी-सिख शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिलना आसान होगा, लेकिन पूर्वोत्तर के राज्य इसका विरोध कर रहे हैं. दरअसल, पूर्वोत्तर के कई राज्यों का कहना है कि अभी भी बड़ी संख्या में उनके राज्य या इलाके में इस समुदाय के लोग ठहरे हुए हैं, अगर अब उन्हें नागरिकता मिलती है तो वह स्थाई हो जाएंगे.

पुर्वोत्तर राज्यों का कहना है कि अगर ऐसा हुआ तो उनकी अस्मिता, भाषा, कल्चर खत्म हो जाएगा. उनकी अलग पहचान खो जाएगी और इसी बात को लेकर वहां विरोध हो रहा है.


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