(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
एशियानेट न्यूज और मीडिया वन से प्रतिबंध हटा, प्रकाश जावड़ेकर बोले- सरकार प्रेस स्वतंत्रता का समर्थन करती है
केंद्र सरकार ने मलयालम के दो समाचार चैनलों के प्रसारण पर लगाए गए प्रतिबंध को हटा लिया है. सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि केंद्र ने प्रतिबंध हटा लिया है और सरकार प्रेस स्वतंत्रता का समर्थन करती है.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने मलयालम के दो समाचार चैनलों के प्रसारण पर शुक्रवार को लगाए गए 48 घंटे का प्रतिबंध शनिवार को हटा लिया. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के एक सूत्र ने बताया कि एशियानेट न्यूज पर लगा प्रतिबंध देर रात डेढ़ बजे जबकि मीडिया वन पर लगी रोक को शनिवार की सुबह साढ़े नौ बजे हटा लिया गया.
बाद में पुणे में, सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि केंद्र ने प्रतिबंध हटा लिया है और सरकार प्रेस स्वतंत्रता का समर्थन करती है. एशियानेट न्यूज के संपादक एम जी राधाकृष्णन ने कहा कि उनके चैनल के प्रबंधन ने प्रतिबंध लगाए जाने के बाद मंत्रालय से संपर्क किया था और संबंधित लोगों से बात की थी जबकि मीडिया वन के प्रधान संपादक सी एल थॉमस ने कहा कि उनका चैनल सरकार के पास नहीं गया और मंत्रालय ने “स्वत:” प्रतिबंध हटा लिया.
थॉमस ने कहा, “हम कानूनी कार्रवाई का रुख कर रहे थे. आज हमें सूचना मिली कि प्रतिबंध हटा लिया गया है, इसलिए हम कानूनी कार्रवाई की तरफ नहीं बढ़ रहे हैं. हमने मंत्रालय में किसी से संपर्क नहीं किया, सरकार ने स्वत: प्रतिबंध हटा लिया.” उन्होंने कहा, “हम खुश हैं कि मंत्रालय ने स्वत: प्रतिबंध हटा लिया. हम पत्रकारिता के उत्कृष्ट मूल्यों का पालन करने और उन्हें बरकरार रखने की राह पर चलना जारी रखेंगे.”
राधाकृष्णन ने कहा कि चैनल के प्रबंधन ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को मनाने के प्रयास के तहत उससे बात की थी. उन्होंने कहा, “मालूम होता है कि वे (प्रबंधन) अपने प्रयास में सफल हुए. चूंकि प्रतिबंध रात में लगाया गया था तो कोई औपचारिक आवेदन देने के लिए समय नहीं था. उन्होंने मंत्रालय में सभी संबंधित व्यक्तियों से बात की और उन्हें मनाया. मंत्री ने भी आज यही बात कही.”
राधाकृष्णन ने कहा, “हमारी तरफ से कोई माफी नहीं मांगी गई. रिपोर्टिंग तथ्यों पर आधारित थी.” जावड़ेकर ने पुणे में संवाददाताओं से कहा कि वह मामले को देखेंगे और जरूरत पड़ने पर आदेश जारी करेंगे. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने पूरे मुद्दे पर चिंता जाहिर की है.
दिल्ली में पिछले महीने हुए सांप्रदायिक दंगों पर दी गई खबरों को लेकर इन चैनलों के प्रसारण पर 48 घंटे की रोक लगाई गई थी. आधिकारिक आदेशों में कहा गया कि इन चैनलों ने 25 फरवरी की घटनाओं की रिपोर्टिंग इस तरह से की जिसमें “उपासना स्थलों पर हमले का विशेष रूप से जिक्र किया गया और किसी खास धर्म का पक्ष लिया गया.”
मीडिया वन को लेकर दिए गए मंत्रालय के आदेश में कहा गया, “दिल्ली हिंसा पर चैनल की रिपोर्टिंग पक्षपातपूर्ण लगती है क्योंकि इसमें संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के समर्थकों द्वारा की गई तोड़-फोड़ पर जानबूझकर सारा ध्यान केंद्रित किया गया.”
आदेश में कहा गया, “इसने आरएसएस पर भी सवाल उठाए और दिल्ली पुलिस पर निष्क्रियता के आरोप लगाए. चैनल दिल्ली पुलिस और आरएसएस की आलोचना करने वाला प्रतीत हुआ.” मंत्रालय ने देशभर में किसी भी प्लेटफार्म से एशियानेट न्यूज और मीडिया वन के प्रसारण एवं पुनर्प्रसारण पर छह मार्च (शुक्रवार) शाम साढ़े सात बजे से आठ मार्च (रविवार) शाम साढ़े सात बजे तक के लिए रोक लगा दी थी.
कांग्रेस और भाकपा ने चैनलों के प्रसारण पर रोक लगाने के लिए सरकार की कड़ी निंदा की थी और इस कार्रवाई को “मीडिया की स्वतंत्रता पर हमला” बताया. केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने प्रतिबंध को लेकर बीजेपी नीत केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना की और कहा कि देश में ‘‘अघोषित आपातकाल’’ चल रहा है.
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