(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
'सहिष्णु मुस्लिमों को उंगलियों पर गिना जा सकता है और ये भी...', केंद्रीय कानून राज्य मंत्री के विवादित बोल
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत के बुरे दिन 1192 ईस्वी में शुरू हुए जब मुहम्मद गौरी ने राजपूत राजा पृथ्वीराज चौहान को हराया था. साथ ही उन्होंने धर्मांतरण पर भी बड़ा बयान दिया.
Satya Pal Singh Baghel On Muslims: केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह बघेल ने सोमवार (8 मई) को एक विवादास्पद बयान दिया है. उन्होंने कहा कि सहिष्णु मुसलमानों (Tolerant Muslims) को उंगलियों पर गिना जा सकता है और ये भी मुखौटा पहनकर सार्वजनिक जीवन जीने की रणनीति है क्योंकि ये रास्ता उपराष्ट्रपति, राज्यपाल या कुलपति की पदों की ओर ले जाता है.
सत्यपाल सिंह बघेल ने साथ ही ये आरोप भी लगाया कि समुदाय के ऐसे तथाकथित बुद्धिजीवियों का असली चेहरा उनके कार्यालय में अपना कार्यकाल पूरा करने या सेवानिवृत्त होने के बाद सामने आता है. केंद्रीय विधि और न्याय राज्यमंत्री ने ये बयान सोमवार को दिल्ली में देव ऋषि नारद पत्रकार सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए दिया. इस कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मीडिया इकाई इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र की ओर से पत्रकारों को पुरस्कार देने के लिये किया गया था.
"मुखौटा लगाकर सार्वजनिक जीवन जीने का हथकंडा"
केंद्रीय कनिष्ठ कानून मंत्री ने कहा कि सहिष्णु मुसलमानों को उंगलियों पर गिना जा सकता है. मुझे लगता है कि उनकी संख्या हजारों में भी नहीं है और वह भी मुखौटा लगाकर सार्वजनिक जीवन जीने का हथकंडा है क्योंकि जिससे की उपराष्ट्रपति, राज्यपाल या कुलपति के पद तक पहुंचे. लेकिन जब वे कुर्सी छोड़ते हैं, तो वे ऐसा बयान देते हैं जो उनकी वास्तविकता को दर्शाता है.
सत्यपाल सिंह बघेल की ये टिप्पणी सूचना आयुक्त उदय माहुरकर की ओर से कार्यक्रम में दिए गए भाषण के बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत को इस्लामी कट्टरवाद से लड़ना चाहिए, लेकिन सहिष्णु मुसलमानों को साथ लेना चाहिए. अपने शासन के दौरान मुगल बादशाह अकबर के हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा देने के प्रयासों का जिक्र करते हुए, माहुरकर ने दावा किया कि छत्रपति शिवाजी ने उन्हें सकारात्मक रोशनी में देखा था. अकबर ने हिंदू-मुस्लिम एकता हासिल करने की पूरी कोशिश की.
अकबर और औरंगजेब का किया जिक्र
केंद्रीय मंत्री ने बघेल ने इस टिप्पणी को खारिज करते हुए अकबर के प्रयासों को महज रणनीति करार दिया और आरोप लगाया कि मुगल बादशाह की जोधा बाई से शादी उनकी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा थी. उन्होंने कहा कि ये उनका दिल से उठाया गया कदम नहीं था. नहीं तो चित्तौड़गढ़ का नरसंहार न होता. मुगल काल को देखिए, औरंगजेब के कारनामे, कई बार मैं हैरान हो जाता हूं कि हम जिंदा कैसे रहे.
धर्मांतरण के मुद्दे पर भी बोले
उन्होंने धर्मांतरण का मुद्दा भी उठाया और आरोप लगाया कि जिन लोगों को गंडे-ताबीज के माध्यम से दूसरे धर्म में परिवर्तित किया गया है, उनकी संख्या तलवार के डर से ऐसा करने वालों की तुलना में अधिक है. वह चाहे ख्वाजा गरीब नवाज साहेब हों, हजरत निजामुद्दीन औलिया या सलीम चिश्ती. आज भी हमारे समुदाय के लोग बड़ी संख्या में वहां बच्चे, नौकरी, टिकट (चुनाव लड़ने के लिए), मंत्री पद, राज्य मंत्री से कैबिनेट मंत्री बनने के लिए जाते हैं.
"भौतिक विज्ञान और रसायन विज्ञान पढ़ाएं"
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को लगता है कि क्योंकि वे इतने लंबे समय तक शासक रहे हैं तो अब वे प्रजा कैसे बन सकते हैं. समस्या का समाधान अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने में निहित है. इससे एक दिन समस्या का कुछ समाधान मिल सकता है. अगर वे मदरसे में पढ़ेंगे तो वे ऊर्दू, अरबी और फारसी पढ़ेंगे. सभी साहित्य अच्छे हैं लेकिन ऐसी पढ़ाई से वे पेश-इमाम बनेंगे और अगर वे भौतिक विज्ञान और रसायन विज्ञान पढ़ेंगे तो वे अब्दुल कलाम बनेंगे.
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