अयोध्या विवाद: SC के मध्यस्थता के फैसले पर उमा भारती ने कहा- राम जन्मभूमि पर बने मंदिर
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद को सुलझाने के लिए मध्यस्थता का मार्ग अपनाने का फैसला दिया है. कोर्ट ने इसके लिए तीन लोगों का एक पैनल गठित किया है. मध्यस्थता की कार्यवाही आठ सप्ताह के भीतर पूरे करने का निर्देश दिया गया है.
नई दिल्ली: अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने बयान दिया है. उन्होंने कहा कि एक हिन्दू होने के नाते मैं चाहती हूं कि भगवान राम का मंदिर वहीं बने जहां उनका जन्म हुआ था. केंद्रीय पेयजल और स्वच्छता मंत्री उमा भारती ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहती हैं और न ही कोर्ट द्वारा मध्यस्थता के लिए सुझाए गए नाम पर कुछ बोलना चाहती हैं.
इससे पहले अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मध्यस्थता के आदेश दिये. मध्यस्थता के लिए कोर्ट ने तीन लोगों का एक पैनल गठित किया है. इस पैनल में पूर्व जस्टिस एफ एम खलीफुल्ला, धर्मगुरु श्री श्री रविशंकर और मद्रास हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील श्रीराम पांचू हैं. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि मध्यस्थता में कोई कानूनी अड़चन नजर नहीं आएगी.
सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एफएम खलीफुल्ला मध्यस्थता करने वाले पैनल के मुखिया होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही कहा कि मध्यस्थता के मामले में कोई रिपोर्टिंग नहीं होगी. जो भी बातचीत हो उसे गोपनीय रखा जाए और मध्यस्थता के लिए बैठक फैजाबाद में हो. यह पूरी प्रक्रिया एक हफ्ते में शुरू की जाएगी और पैनल 4 हफ्ते में कोर्ट को तरक्की का ब्यौरा देगा. शीर्ष अदालत ने मध्यस्थता की कार्यवाही आठ सप्ताह के भीतर पूरे करने का निर्देश दिया है.
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया है. इस पीठ में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस धनंजय वाई चन्द्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल हैं.
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