Zero FIR: जीरो FIR को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने एक बड़ा फैसला किया है. इस फैसले के अनुसार, अब जीरो FIR को लोकल लैंग्वेज में ही लिखा जाएगा. इसके अलावा FIR को दूसरे राज्य में भेजने पर उनका ट्रांसलेशन किया जाएगा. 


केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने इसको लेकर केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेश को निर्देश भी जारी किया है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, , केंद्र शासित प्रदेशों ने शून्य एफआईआर को उनके अंग्रेजी अनुवाद के साथ भेजना शुरू भी कर दिया है. बता दें कि गृह मंत्रालय ने तीन नए आपराधिक कानून लागू होने के बाद पिछले महीने एक समीक्षा बैठक में केंद्रशासित प्रदेशों को ये निर्देश दिए थे. 


जानें क्या होती है जीरो FIR


जीरो FIR वो होती हैं, जिसे अपराध होने पर आप किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज करा सकते है. पुलिस को हर हालात में जीरो FIR लिखने का निर्देश है. वो इस एफआईआर को दर्ज करने में आनाकानी नहीं कर सकते हैं. 


जीरो एफआईआर और नॉर्मल FIR में ज्यादा अंतर नहीं होता है. हालांकि इसमें सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि इसमें किसी भी तरह के अधिकार क्षेत्र की अड़चनें पैदा नहीं होती हैं. आमतौर पर, किसी भी पुलिस पुलिस स्टेशन में FIR तभी लिखी जाती है, जब अपराध उसके थानाक्षेत्र के अंतर्गत हुआ हो. लेकिन जीरो FIR में ऐसा नहीं होता है. 


जीरो FIR में पीड़ित व्यक्ति या उस व्यक्ति का कोई जानकार, रिश्तेदार या कोई चश्मदीद भी किसी भी थाने में एफआईआर दर्ज करवा सकता है. इसके बाद पुलिस जीरो एफआईआर के आधार पर अपनी कार्यवाही या जांच शुरू कर देती है. बाद में पुलिस इस केस को संबंधित क्षेत्र के थाने में ट्रांसफर कर देती है. बता दें कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) के तहत, पुलिस अब 'शून्य एफआईआर' दर्ज करने के लिए बाध्य है.