Power Crisis: देश भर में जारी बिजली की किल्लतों के बीच दिल्ली के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह को पत्र लिखा. इस पत्र में सत्येंद्र जैन ने दिल्ली को बिजली देने वाले बिजली उत्पादन संयंत्रों में कोयले की कमी पर चिंता जताई थी. केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने इस पत्र का जवाब देते हुए आंकड़ों का हवाला देकर दिल्ली सरकार पर लोगों को गुमराह करने और पैनिक फ़ैलाने का आरोप लगाया है. आर के सिंह ने पत्र में एनटीपीसी के उन संयंत्रों में बिजली के स्टॉक का ब्यौरा दिया है. उनके मुताबिक़ एनटीपीसी के दादरी प्लांट में 8.43 दिन , ऊंचाहार प्लांट में 4.60 दिन , कहलगांव प्लांट में 5.31 दिन , फरक्का प्लांट में 8.38 और झज्जर प्लांट में 8.02 दिनों के कोयले का स्टॉक बचा हुआ है. इतना ही नहीं , इन प्लांटों में रोजाना कोयले का स्टॉक धीरे धीरे बढ़ाया भी जा रहा है.
सत्येंद्र जैन ने अपने पत्र में दादरी और ऊंचाहार प्लांट में कोयला का केवल एक दिन का स्टॉक बचने का आरोप लगाया था. इसके उलट आर के सिंह ने दावा किया कि इन दोनों प्लांटों में रोज़ाना क्षमता का 100 फ़ीसदी बिजली उत्पादन किया जा रहा है. आर के सिंह ने जवाब देते हुए लिखा है कि अक्टूबर 2021 में भी दिल्ली सरकार ने दिल्ली के गैस आधारित प्लांटों में गैस की कमी की आशंका जताते हुए पैनिक फ़ैलाने की कोशिश की थी. आर के सिंह ने आगे लिखा है कि दिल्ली सरकार ने तब गैस की आपूर्ति के लिए पहले से न तो कोई क़रार किया और न ही कोई इंतज़ाम. आर के सिंह के मुताबिक़ ये दिल्ली सरकार की ज़िम्मेदारी थी कि अपनी ज़रूरत के गैस के लिए पहले से अनुबंध करके पैसों का पेमेंट करे.
दिल्ली सरकार ने खुद छोड़ी थी अपने हिस्से की बिजली
आर के सिंह ने एक और जानकारी देते हुए कहा कि 2015 ने दिल्ली सरकार ने ख़ुद ही ये कहते हुए अपने हिस्से की बिजली छोड़ने का फ़ैसला किया था कि उनके पास सरप्लस बिजली थी. अपने फ़ैसले की जानकारी देते हुए दिल्ली सरकार ने केंद्रीय बिजली मंत्रालय को एक पत्र भी लिखा था. दिल्ली की ओर से छोड़े गए बिजली को 2017 , 2018 और 2019 में दूसरे राज्यों के लिए आवंटित किया गया था जिसपर दिल्ली सरकार ने कोई आपत्ति नहीं जताई थी.
दिल्ली सरकार का दावा पूरी तरह से गलत
आर के सिंह के मुताबिक़ 2021 में दिल्ली ने अचानक ये दावा कर दिया कि उन्होंने अपने हिस्से की बिजली नहीं छोड़ी है. आर के सिंह के मुताबिक़ दिल्ली सरकार का दावा बिल्कुल ग़लत है क्योंकि उनके पास दिल्ली सरकार की भेजी हुई चिट्ठी भी है. आर के सिंह ने कहा कि दिल्ली सरकार का ये प्रयास निंदनीय है.
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