केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को साफ तौर पर कहा कि रेलवे के निजीकरण का कोई सवाल ही नहीं है और इस बारे में कही गई सभी बातें ‘काल्पनिक’ हैं. उन्होंने कहा कि सरकार की दृष्टि में ‘रणनीतिक क्षेत्र’ के रूप में रेलवे की सामाजिक जवाबदेही है, जिसे वाणिज्यिक व्यवहार्यता पर ध्यान देते हुए पूरा किया जा रहा है. रेल मंत्री ने यह भी कहा कि भर्ती को लेकर छात्रों के साथ ‘गलतफहमी’ को रेलवे ने सहानुभूतिपूर्ण ढंग से सुलझा लिया है. रेल मंत्री ने कहा, ‘‘भर्ती पर कोई रोक नहीं है. 1.14 लाख रिक्तियों को लेकर भर्ती प्रक्रिया जारी है.’’ ‘वर्ष 2022-23 के लिए रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर चर्चा’ का जवाब देते हुए रेल मंत्री ने कहा कि रेलवे का निजीकरण नहीं हो सकता, क्योंकि पटरियां रेलवे की हैं, इंजन रेलवे के हैं, स्टेशन और बिजली के तार रेलवे के हैं. इसके अलावा डिब्बे और सिग्नल प्रणाली भी रेलवे की ही हैं.
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि उनके पूर्ववर्ती पीयूष गोयल भी पहले स्पष्ट कर चुके हैं कि रेलवे का ढांचा जटिल है और इसका निजीकरण नहीं होगा. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मालगाड़ियों का भी निजीकरण नहीं किया जा रहा. रेल मंत्री ने कहा, ‘‘सरकार की दृष्टि में ‘रणनीतिक क्षेत्र’ के रूप में रेलवे की सामाजिक जवाबदेही है. इसका अब तक पालन किया गया और आगे भी किया जायेगा. इसे वाणिज्यिक व्यवहार्यता पर ध्यान देते हुए पूरा किया जा रहा है.’’ इस विषय पर चर्चा के दौरान कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने सरकार पर रेलवे के ‘निजीकरण’ की ओर कदम बढ़ाने और सिर्फ मुनाफा कमाने पर ध्यान देने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को लोकसभा में कहा था कि सरकार की ओर से रेल आधुनिकीकरण की बात करना सिर्फ ‘दुष्प्रचार’ है. रेल मंत्री ने कहा कि रेलवे की सामाजिक जवाबदेही पर ध्यान दें तब स्पष्ट होगा कि हम 60 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी दे रहे हैं. मंत्री के जवाब के बाद सदन ने ‘वर्ष 2022-23 के लिए रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों’ को मंजूरी प्रदान कर दी.
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि मुम्बई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना पर काम चल रहा है और गुजरात खंड में 99.7 प्रतिशत भूमि अधिग्रहण हो गया है, 750 से अधिक खम्भे बन चुके हैं, नर्मदा एवं तापी नदियों पर पुलों का निर्माण हो रहा है. उन्होंने कहा कि बुलेट ट्रेन परियोजना पर कार्य 8 किलोमीटर प्रति महीने की दर से आगे बढ़ रहा है और इसे बढ़ाकर 10 किलोमीटर प्रति महीने किया जायेगा. वैष्णव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जीवन रेल से जुड़ा रहा है, वह रेल को बहुत अच्छी तरह समझते हैं. आज रेलवे किस मोड़ पर है, यह जानने के लिए हमें पीछे जाना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले जैसी नीतिगत पंगुता थी, उसका प्रभाव रेलवे पर भी था.
रेल मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार के सत्ता में आने से पहले रेलवे में निवेश की कमी एवं नजरिये की दिशाहीनता थी, साथ ही प्रौद्योगिकी में बदलाव नहीं हो पा रहा था, कर्मचारियों में विभागीय प्रतिस्पर्धा थी और इसके कारण रेलवे लगातार बाजार में हिस्सेदारी खोता जा रहा था. मोदी सरकार के कदमों का उल्लेख करते हुए रेल मंत्री ने कहा, ‘‘हमारी सरकार बनने के बाद सबसे पहले सफाई पर ध्यान दिया गया. इसके बाद जमीनी कार्यालयों के स्तर पर अधिकारियों को शक्तियां दी गईं. आज ज्यादातर निविदाएं फील्ड अधिकारियों द्वारा तय होती हैं, वे रेलवे बोर्ड के पास नहीं आती.’’ उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने रेलवे को नयी दिशा दी. बहुत बड़े पैमाने पर परिवर्तन हुआ है. सांसद खुद कहते हैं कि ये परिवर्तन दिखता है.’’ पश्चिम बंगाल में रेलवे की परियोजनाओं के संबंध में रेल मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार के सहयोग के अभाव में पश्चिम बंगाल में 18 रेल परियोजनाएं लंबित हैं. रेल मंत्री ने रेलवे को पटरी पर लाने के लिये सरकार द्वारा उठाये गए अनेक कदमों का उल्लेख किया.
उन्होंने कहा कि रेलवे के समक्ष औसत वार्षिक पूंजी निवेश एक बड़ी समस्या रही थी और यह वर्ष 2009-14 के 45,980 करोड़ रूपये से बढ़ाकर वर्ष 2014-19 में 99,511 करोड़ रूपये दर्ज किया गया. रेल मंत्री ने कहा कि वर्ष 2022-23 के दौरान रिकार्ड 2.45 लाख करोड़ रूपये का आवंटन किया गया है. उन्होंने रेलवे के विद्युतीकरण, दोहरीकरण, आमान परिवर्तन सहित अन्य आधुनिकीकरण के कार्यों का उल्लेख किया. वैष्णव ने कहा कि सुनिश्चित रेल सुरक्षा हमारा संकल्प है और इस दिशा में हम काम कर रहे हैं.
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