(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Crime Against SC and ST: दलित और आदिवासियों के खिलाफ बढ़ा है अपराध, गृह राज्यमंत्री ने लोकसभा में पेश किए चौंकाने वाले आंकड़े
Ajay Kumar Mishra: देश में दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के खिलाफ आपराधिक मामलों में बढ़ोत्तरी देखी गई है. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने संसद सत्र के दौरान लोकसभा में आंकड़े पेश किए हैं.
Cases Of Crime Against SC ST: देश में दलित (SC) और आदिवासियों (ST) के खिलाफ अपराध (Crime) के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई है. सरकार की तरफ से संसद (Parliament) के मॉनसून सत्र (Monsoon Session) के दौरान लोकसभा (Loksabha) में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक साल 2018 से साल 2020 के बीच दलित और आदिवासियों के खिलाफ अपराधिक (Crime Against SC ST) मामले बढ़े हैं. देश के गृहराज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा (Ajay Kumar Mishra) ने लोकसभा में ये आंकड़े तब पेश किए जब तेलंगाना(Telangana) से कांग्रेस (Congress) के सांसद कोमाती रेड्डी और टीआरएस के सांसद मन्ने श्रीनिवास रेड्डी ने इस मामले को लेकर सवाल पूछा था.
उन्होंने बताया कि साल 2018 में दलितों के खिलाफ 42,793 आपराधिक मामले सामने आए थे दो साल 2020 में बढ़ते बढ़ते 50 हजार पहुंच गए तो वहीं आदिवासियों की बात करें तो उनके खिलाफ साल 2018 में 6,528 मामले सामने आए थे जो साल 2020 में बढ़कर 8,272 हो गए. लोकसभा में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक साल 2019 में दलितों के खिलाफ 45,961 मामले सामने आए थे तो वहीं आदिवासियों के खिलाफ 7,570 केस दर्ज हुए.
यूपी और बिहार दलित उत्पीड़न में सबसे आगे
संसद में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश और बिहार दलित उत्पीड़न में सबसे आगे रहे. साल 2018 की अगर बात करें तो उत्तर प्रदेश में 11,924 मामले दर्ज हुए थे जो साल 2019 में बढ़कर 11,829 और साल 2020 में 12,714 हो गए. तो वहीं बिहार में साल 2018 में 7,061 मामले सामने आए जो साल 2019 में कम होकर 6,544 पर पहुंचा लेकिन साल 2020 में बढ़कर 7,368 पर पहुंच गया.
एमपी और राजस्थान आदिवासियों के उत्पीड़न में सबसे आगे
आदिवासियों (Tribal) के खिलाफ अपराध (Crime) के सबसे अधिक मामले मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) और राजस्थान (Rajasthan) में दर्ज हुए हैं. साल 2018 में आदिवासियों के खिलाफ अपराध के मामले 1,868 थे तो साल 2019 में कम होकर 1,845 हुए लेकिन साल 2020 में बढ़कर ये आंकड़ा 2,401 पर जा पहुचा. वहीं, राजस्थान में साल 2018 में 1,095 मामले दर्ज हुए तो साल 2019 बढ़कर 1,797 मामले दर्ज हुए. साल 2020 में ये आंकड़ा कम होकर 1,878 पर पहुंच गया.
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