Unitech Case: यूनिटेक के मालिकों पर तिहाड़ जेल से अवैध गतिविधियों का आरोप, सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को मुंबई की अलग-अलग जेल में भेजा
Unitech Case: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट में कहा है कि संजय चंद्रा और अजय चंद्रा तिहाड़ जेल के भीतर से काम कर रहे हैं. दोनों ने दिल्ली में एक गुप्त कार्यालय बनाया है.
Unitech Case: निवेशकों के हज़ारों करोड़ रुपयों के गबन के आरोपी यूनिटेक के मालिकों को सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई की अलग-अलग जेलों में भेजने का आदेश दिया है. गबन किए पैसों को विदेश भेजने की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ED) की एक रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने ऐसा किया. ED ने कोर्ट को बताया था कि संजय चंद्रा और अजय चंद्रा दिल्ली की तिहाड़ जेल में विशेष सुविधाएं मिली हैं. दोनों वहीं से जांच को प्रभावित करने के लिए, सबूतों को मिटाने और गवाहों को धमकाने में लगे हैं.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और एम आर शाह ने मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुए दिल्ली पुलिस कमिश्नर से व्यक्तिगत रूप से इसकी जांच करने को कहा है. कोर्ट ने कहा है कि कमिश्नर जेल अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका तय कर 4 हफ्ते में रिपोर्ट दें.
ED ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी नई रिपोर्ट में बताया था कि संजय और अजय चंद्रा तिहाड़ जेल के भीतर से काम कर रहे हैं. दोनों ने दक्षिणी दिल्ली में एक गुप्त कार्यालय बनाया है. जेल के बाहर उनके कर्मचारी मौजूद रहते हैं, जो दोनों के निर्देश कार्यालय तक पहुंचा रहे हैं. उनके आदेश पर संपत्तियों को बेचा जा रहा है. सबूतों को नष्ट किया जा रहा है.
इस जानकारी पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई. कोर्ट ने कहा कि ED ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को 16 अगस्त को चिट्ठी लिख कर इसकी जानकारी दी थी. लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. अब कमिश्नर स्वयं मामले की जांच करें और 4 हफ्ते में रिपोर्ट दें. कोर्ट ने संजय चंद्रा और अजय चंद्रा को तुरंत मुंबई की अलग-अलग जेल में शिफ्ट करने के लिए कहा है. एक को आर्थर रोड जेल और दूसरे को तलोजा सेंट्रल जेल भेजा जाएगा.
कोर्ट ने लिखित आदेश में दर्ज किया है, " संजय और अजय चंद्रा को संपत्तियों को बेच कर पैसे जुटाने के लिए हमारे आदेश पर पहले जेल में सुविधा दी गई थी. मई 2019 को हमने यह सुविधाएं वापस ले लीं. यह भी कहा कि जेल मैनुएल ने दर्ज सुविधाओं के अतिरिक्त दोनों को कुछ भी अलग से न मिले. लेकिन अब ED की रिपोर्ट से पता चला है कि आरोपी जेल परिसर में अवैध गतिविधियां कर रहे हैं. गवाहों को धमकाना, सबूत नष्ट करना जारी है. अगर यह सच है तो जेल अधिकारियों की मिलीभगत से सुप्रीम कोर्ट के अधिकार को नीचा दिखाने की कोशिश की गई है."
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