(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Wheat Exports: UAE में भारतीय गेहूं के निर्यात पर 4 महीने के लिए रोक, वैश्विक खाद्य संकट के चलते लिया फैसला
Wheat Exports: संयुक्त अरब अमीरात ने भारत से आए गेहूं और गेहूं के आटे के निर्यात और पुन: निर्यात को चार महीने के लिए रोकने का आदेश जारी किया है.
UAE To Suspend Exports Of Indian Wheat: संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने भारत (India) से गेहूं (Wheat) और गेहूं के आटे को नहीं मंगाने का फैसला किया है. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक संयुक्त अरब अमीरात के अर्थव्यवस्था मंत्रालय ने कहा कि भारत में उत्पन्न होने वाले गेहूं और गेहूं के आटे के निर्यात और पुन: निर्यात (Wheat Exports) में चार महीने के निलंबन का आदेश दिया है. खाड़ी देश के अर्थव्यवस्था मंत्रालय ने अपने इस फैसले के लिए वैश्विक व्यापार प्रवाह में रुकावट का हवाला दिया, लेकिन साथ ही कहा कि भारत ने घरेलू खपत के लिए संयुक्त अरब अमीरात को गेहूं के निर्यात को मंजूरी दी थी.
संयुक्त अरब अमीरात के अर्थव्यवस्था मंत्रालय ने कहा कि ये प्रतिबंध सभी गेहूं की किस्मों पर लागू होता है, जैसे कि हार्ड, साधारण, नरम गेहूं और गेहूं का आटा. ये आदेश संयुक्त अरब अमीरात को बेचे जाने वाले भारतीय गेहूं को संयुक्त अरब अमीरात की घरेलू खपत के अलावा किसी अन्य उद्देश्य के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं देगा. रिपोर्ट की मानें तो 13 मई से पहले यूएई में लाए गए भारतीय गेहूं का निर्यात या पुन: निर्यात करने की इच्छा रखने वाली कंपनियों को पहले अर्थव्यवस्था मंत्रालय को आवेदन करना होगा.
भारत ने गेहूं के निर्यात पर लगाया था प्रतिबंध
बता दें कि, भारत ने 14 मई को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसमें पहले से जारी किए गए साख पत्र (एलसी) द्वारा समर्थित और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग करने वाले देशों को छूट दी गई थी. तब से, भारत ने 469,202 टन गेहूं के शिपमेंट की अनुमति दी है. भारत ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाते हुए कहा था कि निर्यात पर अचानक अंकुश लगाने का एक कारण भारतीय गेहूं की जमाखोरी और तीसरे देश में इसका कारोबार करना था.
भारत और यूएई में हुआ था समझौता
संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और भारत (India) ने फरवरी में एक व्यापक व्यापार और निवेश समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. जिसमें एक-दूसरे के सामानों पर सभी शुल्कों में कटौती करना और पांच वर्षों के भीतर अपने वार्षिक व्यापार को 100 अरब डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा था. व्यापक आर्थिक भागीदारी व्यापार समझौते (सीईपीए) के रूप में जाना जाने वाला ये समझौता 1 मई को प्रभावी हुआ.
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