नई दिल्लीः केंद्र सरकार की ओर से पारित तीनों कृषि कानूनों को वापस करने की मांग को लेकर दिल्ली के सीमा पर धरना प्रदर्शन कर रहे संयुक्त मोर्चा के किसानों ने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखी है. अपनी चिट्ठी में किसान मोर्चा ने मांग की है कि किसान आंदोलन के दौरान जेलों में बंद गए निर्दोष किसानों की रिहाई बिना शर्त रिहाई की जाए. पत्र में यह भी लिखा गया है कि किसानों के ऊपर किए गए झूठे केसों व उनके खिलाफ जारी किए जा रहे नोटिस को रद्द किया जाए.


राष्ट्रपति को लिखे पत्र में संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि पिछले तीन महीनों से किसान अनिश्चित काल के लिए दिल्ली के आसपास धरना दे रहे हैं लेकिन सैकड़ों किसानों और आंदोलन समर्थकों को भारत सरकार और कई राज्य सरकारों द्वारा जेलों में डाल दिया गया है और झूठे मामले बनाए गए हैं.


पत्र में किसान मोर्चा की ओर से कई बिंदुओं पर ध्यान दिलाने की कोशिश की गई है. किसान मोर्चा ने लिखा कि हम कुछ मांगों को जिला और तहसील अधिकारियों के माध्यम से आपके पास भेज रहे हैं.  हमें उम्मीद है कि आप इस संबंध में तत्काल कार्रवाई करेंगे.


बंद रास्ता खोले पुलिस


किसान मोर्चा ने लिखा, ''जेलों में बंद निर्दोष किसानों के खिलाफ दर्ज पुलिस मामलों को खारिज कर दिया जाना चाहिए और उन्हें तुरंत बिना शर्त रिहा किया जाना चाहिए. किसानों और उनके संघर्ष के समर्थक व्यक्तियों और संगठनों के खिलाफ में दर्ज झूठे पुलिस मामलों को खारिज कर दिया जाना चाहिए.''


इसके अलावा लिखा है, ''दिल्ली पुलिस, एनआईए और अन्य सरकारी एजेंसियों द्वारा संघर्ष में शामिल किसानों को डराने-धमकाने के लिए भेजे जा रहे नोटिस को तुरंत रोका जाना चाहिए और पहले के नोटिस को रद्द कर दिया जाना चाहिए. दिल्ली की सीमाओं पर किसान मोर्चा की पुलिस घेराबंदी के नाम पर, आम आदमी की बंद सड़कों को खोला जाना चाहिए.''


बता दें कि कृषि कानूनों को वापस करने की मांग को लेकर भारी संख्या में किसान दिल्ली की सीमा पर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों का प्रदर्शन टिकरी बॉर्डर, सिंघु बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर पिछले तीन महीने से ज्यादा दिन से जारी है.


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