बीएचयू कांड: सीएम योगी ने भी माना यूनिवर्सिटी प्रशासन के संवाद में कमी थी
बीएचयू के कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी के अधिकार सीमित हो गए हैं. हालांकि इसका बीएचयू में हुए बवाल से कोई संबंध नहीं है. कुलपति 26 नवम्बर को रिटायर होने वाले हैं. ऐसे में नियम के मुताबिक रिटायरमेंट से 2 महीने पहले अधिकार सीमित हो जाते हैं.
नई दिल्ली: बीएचयू में 23-24 सितंबर की रात छात्र-छात्रों पर लाठी चार्ज के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बयान आया है. आज गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ ने भी माना कि जो भी बवाल हुआ उसके लिए कहीं ना कहीं विश्वविद्यालय प्रशासन जिम्मदार था.
योगी आदित्यनाथ ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "विश्वविद्यालय प्रशासन को छात्रों के साथ बेहतर संवाद स्थापित करना चाहिए था. जानकारी में आया है कि कुछ पत्रकार भी लाठीचार्ज में घायल हुए हैं. मामले की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए हैं. जो भी दोषी होगा उसके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी.''
कुलपति के अधिकार सीमीत किए गए बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी के अधिकार सीमित हो गए हैं. हालांकि इसका बीएचयू में हुए बवाल से कोई संबंध नहीं है. कुलपति 26 नवम्बर को रिटायर होने वाले हैं. ऐसे में नियम के मुताबिक रिटायरमेंट से 2 महीने पहले अधिकार सीमित हो जाते हैं. अगले दो महीनों में कोई बड़ा वित्तीय या भर्ती संबंधी फैसला लेने का अधिकार वीसी के पास नहीं होगा. हालांकि विश्वविद्यालय के सामान्य संचालन का काम वीसी ही देखेंगे.
बीएचयू के प्रॉक्टर ने नैतिक जिम्मेदारी लेकर दिया इस्तीफा बीएचयू में बवाल के 72 घंटे बाद विश्वविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर ओएन सिंह ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. विश्वविद्यालय ने उनका इस्तीफा मंजूर भी कर लिया है.
कमिश्नर की रिपोर्ट में यूनिवर्सिटी प्रशासन जिम्मेदार वाराणसी के कमिश्नर नितिन रमेश गोकर्ण ने अपनी रिपोर्ट में पूरे मामले के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन को दोषी ठहराया है. कमिश्नर की रिपोर्ट के मुताबिक छात्राओं की मांगें जायज थीं. कोई प्रशासनिक अधिकारी अगर मौके पर पहुंचता तो हिंसा नहीं होती. रिपोर्ट में लाठीचार्ज के लिए प्रॉक्टोरियल बोर्ड के सुरक्षाकर्मियों को जिम्मेदार ठहराया है.
क्या हुआ था बीएचयू में? बीएचयू में विवाद छात्राओं की सुरक्षा को लेकर ही तब शुरू हुआ जब 21 सितंबर को फाइन आर्ट्स की एक छात्रा से कैंपस में छेड़छाड़ हुई. छात्रा की शिकायत के बावजूद आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
विरोध में 22 सितंबर को छात्राओं ने विश्वविद्यालय में धऱना शुरू कर दिया. 23 सितंबर को कुलपति आवास का घेराव करने जा रही छात्राओं पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया. छात्राओं पर लाठीचार्ज से हो रही किरकिरी से बचने कि लिए विश्वविद्यालय हर रोज नई दलील दे रहा है.