(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
उन्नाव रेप केस: विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को सजा होगी या नहीं, फैसला आज
उन्नाव के माखी क्षेत्र के एक गांव की रहने वाली एक युवती ने कुलदीप सिंह सेंगर और उनके भाइयों पर 2017 जून में गैंगरेप का आरोप लगाया था. मामले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने के बाद सेंगर को गिरफ्तार किया गया था.
नई दिल्ली: उन्नाव के बहुचर्चित अपहरण और गैंगरेप मामले में आरोपी और बीजेपी से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की सजा पर आज फैसला हो सकता है. दिल्ली की एक विशेष अदालत आज इस मामले अपना फैसला सुना सकती है.10 दिसंबर को सीबीआई और अभियुक्तों का पक्ष सुनने के बाद न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने कहा था कि वो 16 दिसंबर को फैसला सुना सकते हैं.
उन्नाव गैंगरेप केस की कहानी शुरु हुई थी करीब 10 महीने पहले जब 11 जून 2017 को पीड़िता गायब हो गई थी. पीड़ित परिवार ने शुभम, अवधेश पर केस दर्ज कराया था. 21 जून को पीड़िता वापस आ गई थी और 22 जून 2017 में उसने मजिस्ट्रेट के सामने अपने बयान दर्ज कराए थे.
विधायक पर किन किन धाराओं में दर्ज है केस? पीड़िता की मां की तहरीर पर उन्नाव के माखी थाने में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ केस दर्ज किया गया था. विधायक के खिलाफ आईपीसी की धारा 363, 366, 376 ,506 और पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दायर किया गया है. गुरुवार को यूपी के डीजीपी ने कहा था कि मामला सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया. सेंगर की गिरफ्तारी काफी देर में हुई थी. इसे लेकर योगी सरकार की आलोचना भी हुई थी. इस वक्त सेंगर जेल में हैं.
क्या है पूरा मामला? एक नाबालिग लड़की ने कुलदीप सेंगर पर बलात्कार का आरोप लगाया था. घटना पिछले साल जून की है. न्याय की मांग को लेकर आरोप लगाने वाली लड़की ने सीएम योगी के घर के बाहर आत्मदाह की कोशिश की थी. इसी महीने की तीन तारीख को पीड़िता के पिता की जेल में संदिग्ध परिस्थियों में मौत हो गई थी. पीड़िता ने विधायक कुलदीर सेंगर पर जेल में हत्या कराने का आरोप भी लगाया था.
कौन हैं कुलदीप सेंगर? अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत में सेंगर कांग्रेसी थे. 2002 के चुनावों से पहले उन्होंने बसपा का दामन थाम लिया और कांग्रेस के प्रत्याशी को बड़े अंतर से हरा दिया. 2007 आते-आते उनकी छवि बाहुबली की बन गई थी. पार्टी की इमेज की खातिर माया ने उन्हें साइडलाइन कर दिया. तो उन्होंने सपा का दामन थाम लिया.
2007 में एक बार फिर वह विधायक बन गए. 2012 में भी सपा के टिकट पर उन्होंने चुनाव जीता और 2017 में बीजेपी के टिकट पर वह विधायक बन गए. यानि 2002 से वो लगातार विधायक हैं और अपने राजनीतिक करियर में यूपी की सभी अहम पार्टियों में रहे हैं. 2002 से 2017 के बीच वो बीएसपी, एसपी से विधायक रहे हैं और इस मामले के बाद बीजेपी ने उव्हें विधायक पद से हटा दिया.
उन्नाव केस की पूरी जानकारी, 11 जून 2017 से अब तक क्या क्या हुआ? 11 जून 2017: पीड़िता गांव के युवक शुभम के साथ गायब हुई, परिवारवालों ने आरोपी शुभम, अवधेश पर केस किया 21 जून 2017: पीड़िता पुलिस को मिली 22 जून 2017: पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के सामने बयान दिया, पीड़िता ने तीन लोगों पर गैंगरेप का आरोप लगाया. विधायक समर्थक बताए जा रहे तीनों युवकों की गिरफ्तारी हुई 1 जुलाई 2017: मामले में चार्जशीट दायर हुई 22 जुलाई 2017: पीड़िता ने पीएम-सीएम को चिट्ठी लिखी, कुलदीप सेंगर पर रेप का आरोप लगाया 30 अक्टूबर 2017: विधायक समर्थकों ने पीड़िता के परिवार पर मानहानि का केस किया, पीड़िता के घरवालों पर विधायक को रावण बताने वाला पोस्टर लगाने का आरोप 11 नवंबर 2017: पीड़िता के चाचा पर भी मानहानि का केस 22 फरवरी 2018: उन्नाव जिला अदालत में अर्जी दी, अर्जी में विधायक पर रेप का आरोप लगाया. आरोपी शुभम की मां पर नौकरी के बहाने विधायक के घर ले जाने का आरोप 3 अप्रैल 2018: कोर्ट से लौटते वक्त पीड़िता के परिवार पर हमले का आरोप. विधायक के भाई पर बदमाशों के साथ मिलकर पीटने का आरोप लगा. पुलिस ने आरोपियों की जगह पीड़िता के पिता पर आर्म्स एक्ट में केस किया 4 अप्रैल 2018: डीएम से शिकायत हुई, विधायक समर्थकों पर केस दर्ज हुआ. पुलिस ने विधायक के भाई पर कोई केस नहीं किया 4 अप्रैल 2018: पीड़िता के पिता को जेल भेज दिया गया. 9 अप्रैल 2018: सुबह पीड़िता के पिता की मौत हो गई. पुलिस ने तब चारों आरोपियों को गिरफ्तार किया. विधायक के भाई का नाम आने पर उसकी भी गिरफ्तारी हुई 10 अप्रैल 2018: पीड़िता के पिता के पोस्टमार्टम के बाद हत्या की धारा जोड़ी गई. लापरवाही बरतने के आरोप में थाना प्रभारी समेत 6 पुलिसवाले निलंबित किए गए. जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया. 11 अप्रैल 2018: एसआईटी ने मामले की जांच करने पीड़िता के परिवार को लेकर उसके गांव पहुंची और पूछताछ की. हाईकोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया. 12 अप्रैल 2018: हाईकोर्ट ने पूरे मामले को सुना, सरकार ने कहा कि विधायक के खिलाफ सबूत नहीं इसलिए गिरफ्तार नहीं कर सकते. केस सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया है इसलिए गिरफ्तारी पर फैसला सीबीआई लेगी. हाईकोर्ट ने अगले दिन के फैसला सुरक्षित रखा. 13 अप्रैल 2018: सुबह 4.30 बजे विधायक को पुश्तैनी घर से सीबीआई ने गिरफ्तार किया.
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