(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
उन्नाव गैंगरेप केस: लीपापोती में जुटी UP पुलिस, 'माननीय' बीजेपी MLA की गिरफ्तारी पर कहा- CBI ही लेगी फैसला
उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह ने कहा, ''कुलदीप सिंह सेंगर का कोई बचाव नहीं कर रहा है. हम सभी कह रहे हैं कि दोनों पक्षों की बातों को सुना जा रहा है. सीबीआई को जांच सौंप दी गई है. अब जांचे एजेंसी ही गिरफ्तारी पर फैसला करेगी.''
नई दिल्ली: उन्नाव गैंगरेप केस में आरोपी बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ मुकम्मल कार्रवाई यानि गिरफ्तारी आखिर कब होगी? इस सवाल का जवाब फिलहाल उत्तर प्रदेश पुलिस के पास भी नहीं है. दरअसल, योगी सरकार विधायक के रसूख की वजह से अब तक लीपापोती में जुटी थी और शायद आगे भी इसी मूड में है.
विपक्ष और आम जनता में भारी आक्रोश की वजह से योगी आदित्यनाथ की सरकार ने बुधवार 'आधी रात' को सीबीआई जांच का फैसला किया और अहले सुबह बीजेपी विधायक के खिलाफ रेप समेत अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया. लेकिन जब गिरफ्तारी का प्रश्न आया तो योगी सरकार ने साफ कर दिया कि 'माननीय विधायक' पर अब सीबीआई ही आगे की कार्रवाई करेगी.
दरअसल, उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह ने रेप के आरोपी कुलदीप सिंह सेंगर को 'माननीय' कहकर संबोधित किया. जिसपर सामने बैठे एक पत्रकार ने सवाल उठाये. उसके बाद डीजीपी ने कहा, ''आरोपी को इसलिए सम्मान दे रहे हैं क्योंकि वह विधायक हैं. मैं समझता हूं कि वह दोषी करार नहीं दिये गए हैं. एक आरोप लगा है. जिसकी जांच सीबीआई को सौंप दी गई है. अब जांच एजेंसी ही गिरफ्तारी पर फैसला करेगी. किसी का भी बचाव नहीं किया जा रहा है''
#WATCH UP DGP OP Singh addresses BJP MLA Kuldeep Singh Senger as 'Mananiye (honourable)', later clarifies after objection by journalists, 'there is no harm in giving respect to an MLA even if he is an accused, he is not guilty yet' pic.twitter.com/OEVmd4zvXF
— ANI UP (@ANINewsUP) April 12, 2018
ऐसे में सवाल उठता है कि सीबीआई जब तक केस नहीं लेती तब तक गिरफ्तारी क्यों नहीं होगी? क्या इस दौरान रसूखदार उन्नाव का विधायक कुलदीप सिंह सेंगर केस को प्रभावित नहीं करेगा? जैसा की अब तक हुआ है. पीड़िता की शिकायत के बाद विधायक के भाई और उसके सहयोगियों ने पुलिस की मौजूदगी में कथित तौर पर पीड़िता के पिता की पीट-पीट कर हत्या कर दी. सबूतों से छेड़छाड़ किया गया. पीड़िता के परिवार को धमकी दी गई.
ऐसे कई उदाहरण हैं जब सरकार ने मामले को सुर्खियों से हटाने और दबाने के लिए सीबीआई की सिफारिश तो कर दी लेकिन कार्रवाई नहीं हुई. जैसे यूपी सरकार ने शाहजहांपुर के पत्रकार जागेंद्र हत्या कांड की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी लेकिन सीबीआई ने केस नहीं लिया. वहीं लखनऊ के श्रवण साहू हत्या का मामला सीबीआई को दिया गया. लेकिन सीबीआई ने एक महीने बाद केस लिया.
यूपी सरकार की वो दलील जो करती है मामले की लीपापोती? सीबीआई जांच की सिफारिश और विधायक के खिलाफ केस दर्ज होने के बाद गृह सचिव अरविंद सिंह ने लखनऊ में प्रेस कांफ्रेस कर पूरे मामले पर बयान दिये. उन्होंने गैंगरेप पीड़िता के चाचा द्वारा एसआईटी के सामने दिये गए बयान का जिक्र किया.
उन्होंने कहा, ''वह 30 जून 2017 को पीड़िता को लेकर दिल्ली गए. जहां दिल्ली में 4 जून 2017 (इसी दिन हुआ था गैंगरेप) की घटना के बारे में पीड़िता ने अपनी चाची को बताया. 17 अगस्त 2017 को पहली बार पीड़िता ने विभिन्न स्तरों पर शिकायत की. उस शिकायत के आधार पर जिला पुलिस के द्वारा जांच की गई. 164 सीआरपीसी के बयान में विधायक के नाम का जिक्र नहीं था. इसलिए विधायक के खिलाफ स्थानीय पुलिस के द्वारा कार्रवाई नहीं की गई.''
वहीं अरविंद सिंह ने पीड़िता के पिता की हत्या के मामले में लापरवाही की बात कबूली. उन्होंने कहा कि 3 अप्रैल 2018 की जो घटना है कि जिसमें पीड़िता के पिता के साथ घटना हुई और उसके पिता की मौत हुई. इस मामले में कार्रवाई हुई है.
आपको बता दें कि गैंगरेप केस में इंसाफ नहीं मिलने से आहत पीड़िता और उसके परिवार वालों ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास के बाहर खुदकुशी की कोशिश की थी. इसके बाद पुलिस ने इसे पुरानी लड़ाई बता कर मामले को टाल दिया. लेकिन कुछ दिनों के भीतर पीड़िता के पिता की पुलिस कस्टडी में मौत हो गई. उनके साथ विधायक समर्थकों ने पिटाई की थी और जबरन कई कागजों पर दस्तखत करवाए थे.