नई दिल्ली: बीजेपी के निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली. कोर्ट ने उन्नाव में 2017 में एक नाबालिग लड़की के साथ रेप के मामले में उसे सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा को निलंबित करने से इंकार कर दिया. अपनी दोषसिद्धि और सजा के खिलाफ सेंगर की याचिका पर कोर्ट ने पीड़िता से जवाब भी मांगा है.


जस्टिस मनमोहन और जस्टिस संगीता ढींगरा सहगल की पीठ ने सेंगर को जुर्माने की 25 लाख रुपये की राशि 60 दिन में देने की अनुमति दी जिनमें से 10 लाख रुपये बिना किसी शर्त के पीड़िता को दिए जाएंगे. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि उसका विचार सेंगर की सजा या जुर्माने की रकम निलंबित करने का नहीं है क्योंकि वह अन्य मामलों में भी अभियोजन का सामना कर रहा है. इसके बाद उसके वकील ने सजा निलंबित करने की मांग करने वाली याचिका वापस ले ली.


निर्भया के दोषियों को आखिरी सजा की नई तारीख तय, अब इस दिन और इस समय होगी फांसी


पीठ ने कहा कि इस मामले में पीड़ित के साथ कई हादसे हो चुके हैं. मामले के तथ्यों को देखते हुए हम सजा को निलंबित करने के इच्छुक नहीं हैं. आपको 10 लाख रुपये पीड़ित को देने हैं और इसके लिए कोई शर्त नहीं हो सकती. पीठ ने कहा, ‘‘आपको रिहा नहीं किया जा सकता है क्योंकि आपके खिलाफ अन्य मामले भी हैं जिसमें सुनवाई चल रही है. सुनवाई अदालत का फैसला आपके खिलाफ है, आप आज दोषी हैं, आपको हिरासत में होना चाहिए... आप केवल डेढ़ साल से जेल में हैं. हम सजा को निलंबित नहीं कर रहे हैं.’’


सेंगर के वकील ने दावा किया कि जुर्माना देने के लिए उसके पास पैसे नहीं हैं और वह परिवार का इकलौता कमाने वाला सदस्य है और उसकी विवाहयोग्य दो बेटियां हैं. ऐसे में 25 लाख रुपये जुटाने में उसे दिक्कत आ रही है और निचली अदालत ने रकम जमा करने के लिए 20 जनवरी तक ही वक्त दिया है.


वकील ने अदालत से रकम जमा करने की समयसीमा बढ़ाने का अनुरोध किया. सीबीआई के वकील ने कहा कि सेंगर की पत्नी भी लोक सेवक हैं और सेंगर को पहले 10 लाख रुपये का भुगतान करना चाहिए जैसा निचली अदालत ने निर्देश दिया है और बाकी के 15 लाख रुपये अदालत में जमा किए जाने हैं. मामले में अगली सुनवाई अब चार मई को होगी और कोर्ट ने अपील को 'नियमित मामलों' की श्रेणी में रखा है.