उन्नाव रेप केस: जानिए- दोषी कुलदीप सिंह सेंगर को क्या सजा मिल सकती है? फांसी या उम्रकैद
सेंगर को आईपीसी के तहत रेप और पोक्सो एक्ट के तहत दोषी ठहराया गया है. इन धाराओं के तहत कम से कम 10 साल और अधिकतम उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है.
नई दिल्ली: 2017 में उन्नाव में हुए बलात्कार मामले में आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने दोषी करार दिया है. बीजेपी से निष्कासित विधायक की सजा पर आज बहस होगी. जिन धाराओं के तहत कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी करार दिया गया है उसमें कम से कम 10 साल और अधिकतम उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है. कोर्ट ने नौ अगस्त को विधायक और सिंह के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र, अपहरण, बलात्कार और पोक्सो एक्ट से संबंधित धाराओं के तहत आरोप तय किए थे.
इस मामले में दर्ज हुई है 5 एफआईआर इस केस में कुल 5 एफआईआर दर्ज की गई है, जिसमें से एक पर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. बाकी में अभी भी सुनवाई इसी कोर्ट में चल रही है, जिसमें पीड़िता के पिता की कस्टडी में हुई मौत, सड़क दुर्घटना में उसके परिवार से मारे गई दो महिला और पीड़िता के साथ किए गए गैंगरेप और उसके चाचा के खिलाफ कथित रूप से झूठा मामले दर्ज करने से जुड़े मामले शामिल है.
कोर्ट ने सबूतों को पुख्ता मान दोषी ठहराया
कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी करार देते हुए अदालत ने सेंगर की तरफ से दी गई उस दलील को भी खारिज किया जिसमें कहा गया था कि पीड़िता ने इस मामले में एफआईआर कथित घटना के कई दिनों बाद दर्ज करवाई थी. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि पीड़िता उस दौरान डरी और सहमी हुई थी और खुद की और परिवार की जान बचाने के लिए इस केस को दर्ज करवाने में देरी हुई. कोर्ट ने इसके साथ ही कुलदीप सिंह सेंगर के वकीलों की तरफ से दी गई उस दलील को भी खारिज किया जिसमें कहा गया था कि सेंगर के मोबाइल की लोकेशन घटना के दिन कई किलोमीटर दूर दिखा रही थी. कोर्ट ने कहा कि वह दूरी करीब 14 किलोमीटर की थी जो कि ऐसे सुनसान इलाके में कुछ मिनटों में पूरी हो सकती है. कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर को पोक्सो एक्ट की धारा के तहत भी दोषी करार दिया है क्योंकि उस दौरान पीड़िता की उम्र नाबालिग थी.
मौजूदा पोक्सो एक्ट में क्या हैं प्रावधान मौजूदा पोक्सो एक्ट में बच्चों के खिलाफ यौन अपराध के मामलों में 20 साल से लेकर आजीवन कारावास की सजा और "दुर्लभतम मामलों" में मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है. इस विधेयक के माध्यम से 'प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट 2012' का और संशोधन किया गया है.
सरकार का मानना है कि कानून में संशोधन के जरिए कड़े दंडात्मक प्रावधानों से बच्चों से जुड़े यौन अपराधों में कमी आने की संभावना है. इससे विपत्ति में फंसे बच्चों के हितों की रक्षा हो सकेगी और उनकी सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित किया जा सकेगा. संशोधन का लक्ष्य बच्चों से जुड़े अपराधों के मामले में दंडात्मक व्यवस्थाओं को अधिक स्पष्ट करना है.
इससे पहले सरकार 2018 में आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम बना चुकी है. इसमें 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के रेप में फांसी की सजा का प्रावधान किया गया है. साथ ही महिलाओं से बलात्कार की स्थिति में न्यूनतम सजा सात साल से 10 साल सश्रम कारावास की गई है जिसे अपराध की प्रवृत्ति को देखते हुए उम्रकैद तक भी बढ़ाया जा सकता है. 16 साल से कम उम्र की लड़कियों के बलात्कार की स्थिति में न्यूनतम सजा 10 साल से बढ़ाकर 20 साल की गई और अपराध की प्रवृत्ति के आधार पर इसे बढ़ाकर जीवनपर्यंत कारावास की सजा भी किया जा सकता है.
अगले सेनाध्यक्ष: कौन हैं लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवणे? जानिए उनकी बहादुरी के कारनामे
मुलायम की बहू अपर्णा यादव ने किया NRC का समर्थन, कहा- जो भारत का है, उसे क्या समस्या है?