नई दिल्ली: दरिंदगी की शिकार उन्नाव की बेटी ने दुनिया को तो अलविदा कह दिया, लेकिन इस बेटी को इंसाफ दिलाने की लड़ाई पूरे देश में लड़ी जा रही है. देश के दिल में इसे लेकर गुस्सा है. आज उसका अंतिम संस्कार उसके गांव में होगा. कल भाई ने कहा था कि शव का दाह संस्कार नहीं होगा, दफन करेंगे और गांव में ही समाधि बनेगी. लेकिन अब परिवार ने मांग की है कि जब तक सीएम योगी आदित्यनाथ नहीं आएंगे अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा.


राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के अस्पताल में रेप पीड़िता की मौत हो जाने के बाद शनिवार को उसका शव उन्नाव स्थित उसके गांव लाया गया. 23 साल की बलात्कार पीड़िता को नब्बे प्रतिशत जली हुई हालत में एयरलिफ्ट कर गुरुवार को दिल्ली लाया गया था और इलाज के लिए सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था. अस्पताल में शुक्रवार रात 11.40 बजे उपचार के दौरान उसकी मौत गई थी.


बता दें कि दरिंदों ने उसे जिंदा जलाकर मारने की कोशिश की थी. उसके बचने की संभावना बेहद कम थी. लेकिन फिर भी वो कहती रही कि वो जिंदा रहना चाहती है. दोषियों को सजा दिलाना चाहती है. अपनी आखिरी सांस तक वो बहादुरी से लड़ी.


बता दें कि उन्नाव की बेटी के साथ दिसंबर 2018 में रेप हुआ था. रेप के दौरान आरोपियों ने उसका वीडियो भी बनाया था. इसके बाद शिकायत के बावजूद पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया. कोर्ट के आदेश पर इसी साल मार्च 2019 में पुलिस ने एफआईआर दर्ज किया. इसके बाद मुख्य आरोपी शिवम त्रिवेदी को जेल भेजा गया. मुख्य आरोपी बाद में जमानत पर जेल से छूट आया, लेकिन उसके बाद से लड़की की जान पर बन आई. जमानत पर बाहर निकले आरोपी लगातार परिवार वालों को धमका रहे थे.


आरोपियों के खिलाफ कोर्ट और पुलिस में जाने का साहस दिखाने वाली लड़की के लिए खतरा तभी से पैदा हो गया था. लेकिन पांच दिसंबर को वो हुआ जिसकी कल्पना से ही सिहरन पैदा हो जाती है. रेप के मुकदमे में पेशी के लिए उन्नाव के बैसवारा रेलवे स्टेशन से ट्रेन पकड़कर रायबरेली जाने की तैयारी कर रही बेटी को खेतों में जिंदा जला दिया गया.


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