Unparliamentary Words Controversy: देश की संसद के दोनों सदनों में शब्दों के इस्तेमाल को लेकर जारी की गई सूची को लेकर बवाल खड़ा हो गया है. लोकसभा सचिवालय की ओर से शब्दों की एक लंबी लिस्ट जारी की गई है, जिन्हें लोकसभा (Lok Sabha) और राज्यसभा (Rajya Sabha) दोनों में असंसदीय माना जाएगा. इस बीच लोकसभा अध्यक्ष (Lok Sabha Speaker) ओम बिरला ने एक तरह से इस पर सफाई दी है. उन्होंने कहा है कि ये लोकसभा की एक प्रक्रिया है जो साल 1959 से चल रही है.


लोकसभा स्पीकर ओम बिरला (Om Birla) ने कहा कि उस प्रक्रिया में जब भी संसद में संवाद के दौरान कोई सदस्य किसी चर्चा के दौरान किसी शब्द का इस्तेमाल करते हैं तो जो पीठासीन अधिकारी होते हैं वो उसे असंसदीय घोषित करते हैं. हम उसका संकलन करते हैं. पहले इसकी किताब निकाली जाती थी, लेकिन कागज का उपयोग कम हो, इसके लिए इस बार ऑनलाइन निकाला गया है. 


किसी भी शब्द को बैन नहीं किया गया


लोकसभा अध्यक्ष ने आगे कहा कि ये बताना ज़रूरी है कि किसी भी शब्द को बैन नहीं किया गया है. उन्होंने बताया कि साल 1954, 1986, 1992, 1999, 2004, 2009 में भी संकलन निकाला गया है. साल 2010 के बाद वार्षिक रूप से ये संकलन निकलने लगा है. उन्होंने कहा कि किसी भी सदस्य को बोलने का अधिकार कोई नहीं छीन सकता है, 
लेकिन मर्यादित चर्चा होनी चाहिए.


लोकसभा सचिवालय ने जारी की है सूची


बता दें कि लोकसभा सचिवालय ने अंससदीय शब्द (Unparliamentary Words) 2021 शीर्षक के तहत ऐसे शब्दों और वाक्यों की एक सूची जारी की है, जिन्हें लोकसभा (Lok Sabha) और राज्यसभा (Rajya Sabha) समेत राज्यों की विधानमंडलों में असंसदीय घोषित किया गया था. इस सूची में शामिल शब्दों को 'असंसदीय अभिव्यक्ति' की श्रेणी में डाला गया है. इसके तहत दोनों सदनों में कार्यवाही में हिस्सा लेने वाले सांसद चर्चा के दौरान जुमलाजीवी, कोरोना स्प्रेडर, जयचंद, शकुनि, जयचंद, लॉलीपॉप, चांडाल चौकड़ी, गुल खिलाए, पिट्ठू जैसे शब्दों को दोनों सदनों में इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा.


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