संयुक्त राष्ट्र: भारत द्वारा जम्मू कश्मीर से विशेष दर्जा वापस लिये जाने के मुद्दे पर शुक्रवार को बंद कमरे में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक शुरू हो गई. पाकिस्तान के करीबी सहयोगी चीन ने परिषद में ‘बंद कमरे में विचार-विमर्श’ करने के लिए कहा था. संयुक्त राष्ट्र के एक राजनयिक ने बताया था कि चीन ने सुरक्षा परिषद की कार्यसूची में शामिल ‘भारत पाकिस्तान प्रश्न’ पर बंद कमरे में विचार-विमर्श करने के लिए कहा था.राजनयिक ने कहा, ‘‘यह अनुरोध सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष को पाकिस्तान के पत्र के संदर्भ में था.’’
परिषद की कार्यावली में कहा गया है ‘‘भारत/पाकिस्तान पर सुरक्षा परिषद का विचार विमर्श (बंद कमरे में) प्रात: दस बजे सूचीबद्ध है.’’उल्लेखनीय है कि बंद कमरे में बैठकों का ब्यौरा सार्वजनिक नहीं होता और इसमें बयानों का शब्दश: रिकॉर्ड नहीं रखा जाता. विचार-विमर्श सुरक्षा परिषद के सदस्यों की अनौपचारिक बैठकें होती हैं.
संयुक्त राष्ट्र के रिकॉर्ड के मुताबिक, आखिरी बार सुरक्षा परिषद ने 1964-65 में ‘भारत-पाकिस्तान प्रश्न’ के एजेंडा के तहत जम्मू कश्मीर के क्षेत्र को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद पर चर्चा की थी. हाल में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा था कि उनके देश ने, जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के भारत के फैसले पर चर्चा के लिए सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाने की औपचारिक मांग की थी.
रूस ने दिया पाकिस्तान को झटका, कश्मीर को बताया द्विपक्षीय मामला
रूस ने पाकिस्तान को बड़ा झटका देते हुए कहा है कि कश्मीर का मामला द्विपक्षीय है. रूस ने पाकिस्तान को इस मुद्दे को द्विपक्षीय रूप से सुलझाने की नसीहत दी है. रूस ने कहा है कि इस मुद्दे को केवल राजनीतिक और कूटनीतिक माध्यम से सुलझाया जा सकता है.
कांग्रेस ने बताया मोदी सरकार की 'कूटनीतिक विफलता'
कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर के विषय पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद बैठक को लेकर शुक्रवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि सरकार की यह ‘कूटनीतिक और रणनीतिक विफलता’ है कि उसने इस मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण होने दिया है. पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भारत के मित्र देशों से बात करके यह बैठक रद्द करवानी चाहिए. सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जो हो रहा है उससे हम बहुत हैरान हैं. यह पूरे भारत के लिए चिंता का विषय है. सबसे अजीब बात यह है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर के चीन दौरे के समय यह सब हो गया. उनके दौरे के समय ही चीन इस मामले को सुरक्षा परिषद के सामने लेकर चला गया.
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