UP Assembly Election 2022: उत्तर प्रदेश चुनाव सत्ता का सेमीफाइनल माना जाता है. दिल्ली की 'रायसीना हिल्स' का रास्ता अब उत्तर प्रदेश के 'एक्सप्रेस-वे' से होकर जाने लगा है.  सबसे बड़े सूबे में सियासी बिसात बिछ चुकी है. तारीखों का ऐलान हो चुका है. पार्टियों ने अपने मोहरों को चुनावी कुरुक्षेत्र में भी उतार दिया है. सभी पार्टियां जनता को लुभाने के लिए अपने तरकश के हर तीर को आजमा रही हैं. वार-पलटवार के दौर चल रहे हैं. सोशल इंजीनियरिंग पर हर पार्टी जान झोंके हुए हैं.


लेकिन बात अगर उत्तर प्रदेश चुनाव की हो और जिक्र जातियों का ना आए ऐसा हो नहीं सकता. यूपी में कई ऐसी ओबीसी जातियां हैं, जो संख्या में तो छोटी हैं लेकिन उम्मीदवारों का खेल बनाने और बिगाड़ने की दमखम रखती हैं. 403 सीटों वाली यूपी की राजनीतिक पिच पर अगर किसी भी पार्टी को फ्रंटफुट पर खेलना है तो उसके पास ओबीसी वोटबैंक का समर्थन होना बेहद जरूरी है. कोई भी दल बिना ओबीसी के सपोर्ट के यूपी में पूर्ण बहुमत की सरकार बना ही नहीं सकता.


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अगर मंडल कमीशन की रिपोर्ट को मानें तो देश में 50 फीसदी से ज्यादा ओबीसी हैं. जबकि यूपी में 40 से 50 प्रतिशत के बीच. उत्तर प्रदेश में ओबीसी वोटबैंक को यादव और गैर यादव के बीच भी विभाजित किया जा सकता है. 


2001 की समाजिक न्याय रिपोर्ट कहती है कि यूपी में पिछड़ी जाति की हिस्सेदारी 54 फीसदी तक है. उत्तर प्रदेश पिछड़ा आयोग के आंकड़ों के मुताबिक सूबे में करीब 79 ओबीसी जातियां हैं. इसके अलावा 70 अन्य ऐसी जातियां हैं, जिन्होंने खुद को ओबीसी में शामिल कराने के लिए आवेदन किया है. इन 70 जातियों में यादव करीब 19.4 फीसदी हैं. राज्य की आबादी में यादवों की हिस्सेदारी 10.52 परसेंट है.


यूपी की साल 2001 की सामाजिक न्याय रिपोर्ट के मुताबिक यूपी की अहम ओबीसी जातियां और प्रतिशत में उनकी आबादी: 



  • यादव-21.1%

  • कुर्मी-7.5%

  • लोध-4.9%

  • गडरिया/पाल-4.4%

  • निषाद/मल्लाह-4.3%

  • तेली/शाहु-4.5%

  • जाट-3.6%

  • कुम्हार/प्रजापति-3.4%

  • कहार/कश्यप-3.3%

  • कुशवाहा/शाक्य-3.2%

  • नाई-3%

  • राजभर-2.4%

  • गुर्जर-2.12%


ये आंकड़ा देखिए और सोचिए कि कोई भी सरकार इन जातियों को साधे बिना यूपी में सरकार बनाने के बारे में विचार भी कैसे कर सकती है. ज्यादातर यादव आबादी समाजवादी पार्टी का साथ देती है. वहीं यादव मुस्लिम या दलित और मुस्लिम सपा और बसपा का वोट बैंक रहे हैं. अधिकतर सवर्ण जातियां बीजेपी और कुछ कांग्रेस के साथ रही हैं. जबकि गैर यादव ओबीसी वोटरों का सभी दलों में बंटवारा होता रहता है. यूपी में दलित 21 और मुस्लिम 19 प्रतिशत हैं. गैर जाटव दलित में बाल्मीकि, खटीक, पासी, धोबी, कोरी सहित तमाम जातियों के राजनीतिक दल अपने वाले में लामबंद करने में जुटे हैं. 


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2014 के बाद से बदले हैं सियासी समीकरण


2014 के बाद से बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग के कारण कई छोटे दलों की सियासत गड़बड़ा गई. बीजेपी ने गैर जाटव दलित वोट बैंक और सपा के गैर यादव ओबीसी वोट बैंक में सेंधमारी की है. यह ट्रेंड 2014 के लोकसभा, 2017 के विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनावों में देखने को मिला है, जिसका फायदा बीजेपी को साफ मिला. इसी वजह से बीजेपी ने 2017 में सत्ता का स्वाद चखा. 2019 लोकसभा चुनाव में भी सपा बसपा और रालोद के गठबंधन के बावजूद बीजेपी 80 में से 62 लोकसभा सीट जीतने में कामयाब रही थी. 


कहां किस जाति का दबदबा


यादव के बाद ओबीसी में सबसे बड़ा कुर्मी समुदाय है. करीब 16 जिलों में 6 से 12 फीसदी तक कुर्मी और पटेल वोट बैंक हैं. इनमें मिर्जापुर, सोनभद्र, बरेली, उन्नाव, जालौन, फतेहपुर, प्रतापगढ़, कौशांबी, इलाहाबाद, सीतापुर, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर और बस्ती जिले प्रमुख हैं. 


मौर्य-कुशवाहा


वहीं ओबीसी की मौर्य-शाक्य-सैनी और कुशवाहा जाति की आबादी का 13 जिलों का वोट बैंक 7-10 फीसदी है. इन जिलों में एटा, फिरोजाबाद, मिर्जापुर, कन्नौज, कानपुर देहात, जालौन, झांसी, ललितपुर, हमीरपुर, हरदोई, मैनपुरी, प्रयागराज, औरैया, इटावा, फर्रुखाबाद शामिल हैं. वहीं मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर में सैनी समाज का दबदबा है. 


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मल्लाह-निषाद


इनकी आबादी गंगा के किनारे स्थित जिलों में है जैसे चंदौली, मिर्जापुर, वाराणसी, भदोही, प्रयागराज, अयोध्या, जौनपुर, औरैया, गोरखपुर, बलिया. 


राजभर


पूर्वांचल में राजभर भी ओबीसी में एक अहम वोटबैंक है. इनकी आबादी भले ही दो फीसदी है. लेकिन कई सीटों पर हार या जीत तय करने का माद्दा रखते हैं. चंदौली, भदोही, वाराणसी, मिर्जापुर, मऊ, आजमगढ़, गाजीपुर, बलिया में इनकी अच्छी खासी तादाद है. 


लोध


ओबीसी में एक बड़ा वोट बैंक लोध जाति का है. इनको बीजेपी का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है. यूपी के कई जिलों में लोध समुदाय खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखता है. इनमें रामपुर, ज्योतिबाफुले नगर, अलीगढ़, महामायानगर, फिरोजाबाद, मैनपुरी, पीलीभीत, लखीमपुर, उन्नाव, शाहजहांपुर, हरदोई, औरैया, जालौन, झांसी, ललितपुर, महोबा जैसे जिले शामिल हैं. 


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