UP Election: वेस्ट यूपी का जातीय समीकरण समझिए, यहां जिसके जाट-उसी के ठाठ, क्या पिछले प्रदर्शन को दोहरा पाएगी BJP
UP Assembly Election 2022: पश्चिमी यूपी में करीब 17% जाट हैं और 120 सीटों पर जाटों का असर है. 45-50 सीटों पर तो जाट सीधा जीत-हार तय करते हैं. 11 जिलों में जाट निर्णायक भूमिका में है.
UP Assembly Election 2022: पश्चिमी उत्तर प्रदेश (West UP) में जाट समुदाय की भूमिका हमेशा अहम होती है और यह समुदाय चुनाव परिणामों को प्रभावित करने की ताकत रखता है. इस क्षेत्र में राष्ट्रीय लोक दल यानी RLD का खासा प्रभाव है. पिछले चुनावों में बीजेपी (BJP) ने इस इलाके में अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन इस बार किसान आंदोलन की वजह से क्षेत्र के किसानों और जाट समुदाय में बीजेपी के खिलाफ नाराजगी देखने को मिली है.
इस बार अलग हालातों में हो रहे हैं चुनाव
मेरठ, मुज़फ़्फ़रनगर, आगरा, मथुरा और बाग़पत जैसे जिलो को जाटलैंड भी कहा जाता है, क्योंकि जाट यहां पर बड़ी तादाद में हैं. मुज़फ़्फ़रनगर दंगों के बाद वेस्ट यूपी के जाट वोटर लगातार तीन चुनावों में खुलकर बीजेपी का साथ दे चुके हैं. CSDS के सर्वे के मुताबिक़, 2019 के लोकसभा चुनावों में 91 प्रतिशत जाट मतदाताओं ने बीजेपी को वोट दिया और जाटों के वोट की बदौलत लगातार दो चुनावों में राष्ट्रीय लोकदल के नेता दिवंगत अजित सिंह और उनके बेटे जयंत सिंह बीजेपी से चुनाव हार गए, लेकिन इस बार चुनाव कुछ अलग हालात में हो रहे हैं. एक साल तक किसानों का आंदोलन चला जिसकी वजह से जाट वोटर बीजेपी से नाराज़ बताए जा रहे हैं. दूसरी तरफ़ राष्ट्रीय लोकदल समाजवादी पार्टी के साथ है.
(जयंत चौधरी और अखिलेश यादव)
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वेस्ट यूपी में मुसलमानों की आबादी भी काफी अच्छी
किसानों, जाटों और दलितों के साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुसलमानों की आबादी अच्छी है. हर चुनाव में बीजेपी पर इस इलाके में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करने की कोशिश के आरोप लगते रहे हैं. इस बार बीजेपी की ओर से 'पलायन' और ‘‘80 बनाम 20’’ जैसे मुद्दों को उठाकर ध्रुवीकरण की कोशिश की जा रही है. अमित शाह ने पिछले दिनों कैराना का दौरा कर इन मुद्दों को धार देने की भी कोशिश की.
जाटों की नाराज़गी को दूर करने के लिए दो दिन पहले दिल्ली में अमित शाह ने 250 से ज्यादा जाट नेताओं से मुलाकात की, जिसमें राष्ट्रीय लोक दल के सुप्रीमो जयंत चौधरी को अपने पक्ष में लाने पर भी बात हुई, लेकिन जयंत चौधरी ने बीजेपी के इस ऑफर को ठुकरा दिया है और कहा कि न्योता मुझे नहीं, उन 700 प्लस किसान परिवारों को दो जिनके घर आपने उजाड़ दिए. जयंत चौधरी के दादा चौधरी चरण सिंह प्रधानमंत्री रह चुके हैं, जबकि उनके पिता दिवंगत अजीत सिंह भी केंद्र सरकार में मंत्री रहे हैं.
क्यों खास है पहले दूसरे चरण का मतदान
उत्तर प्रदेश में सात चरणों में मतदान होना है. पहले चरण में 10 फरवरी को 11 जिलों की 58 सीटों पर मतदान होगा. इसमें शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, हापुड़, बुलंदशहर जिले प्रमुख हैं. दूसरे चरण में 14 फरवरी को नौ जिलों की 55 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा. इसमें सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, संभल, रामपुर, बरेली, अमरोहा, पीलीभीत प्रमुख जिले हैं. पहले दोनों चरणों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिकांश इलाकों में मतदान होगा.
पश्चिमी यूपी में जाट क़रीब 17 प्रतिशत हैं. 45 से 50 सीट ऐसी हैं, जहां जाट वोटर ही जीत-हार तय करते हैं. लेकिन क़रीब एक साल तक चले किसान आंदोलन की वजह से कहा जा रहा है कि जाट कहीं इस बार बीजेपी से दूर न हो जाएं. हालांकि बीजेपी का दावा है कि जाट समुदाय हमेशा की तरह इस बार भी बीजेपी के साथ खड़ा है.
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भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है, ‘’किसान किसी के साथ नहीं है. किसान अलग-अलग विचार प्रक्रियाओं पर अलग-अलग चल रहे हैं. वह हर जगह जा रहा है. वह जहां जाना चाहता है. वह यह नहीं कहेगा कि वह कहां जा रहा है. आधी कीमत पर अपनी फसल बेचने के बाद वे कहां वोट करेंगे? वे यह जानते हैं. उन्हें जहां भी वोट करना होगा, वे वोट करेंगे.’’
यूपी में बीजेपी के साथ कितने जाट?
- 2014 लोकसभा 77%
- 2017 विधानसभा 39%
- 2019 लोकसभा 91%
यूपी का जातीय समीकरण
- मुस्लिम– 27%
- दलित- 25%
- जाट- 17%
- राजपूत- 8%
- यादव- 7%
- गुर्जर- 4%
'जाटलैंड' के नाम से मशहूर है पश्चिमी यूपी
पश्चिमी यूपी में करीब 17% जाट हैं और 120 सीटों पर जाटों का असर है. 45-50 सीटों पर तो जाट सीधा जीत-हार तय करते हैं. 11 जिलों में जाट निर्णायक भूमिका में है. साल 2017 में 13 जाट विधायक चुने गए थे और 12 जाट विधायक बीजेपी के थे. फिलहाल योगी सरकार में जाट समुदाय के 3 मंत्री हैं. भूपेंद्र सिंह, लक्ष्मी नारायण सिंह और बलदेव सिंह औलख.
(सीएम योगी, पीएम मोदी और अमित शाह)
पिछले विधानसभा चुनाव में पश्चिमी यूपी की 136 सीटों में बीजेपी ने 109 सीटें जीती थीं, लेकिन इस बार क्या स्थिति हो सकती है? और तमाम चुनावी सर्वे क्या कह रहे हैं? जानिए.
- सी वोटर के सर्वे के मुताबिक, पश्चिमी यूपी की 136 सीटों पर इस बार बीजेपी गठबंधन को 71 से 75 सीटें मिलती दिख रही हैं, जबकि समाजवादी पार्टी-आरएलडी गठबंधन को 53 से 57 सीटें मिल सकती हैं.
- वही DB LIVE का सर्वे बता रहा है कि पश्चिमी यूपी की 136 सीटों में इस बार बीजेपी गठबंधन 46 से 48 सीटें जीत सकती है, जबकि एसपी-आरएलडी को 76 से 78 सीटें मिल सकती हैं.
- इंडिया टीवी ने 97 सीटों का सर्वे किया, जिसके मुताबिक बीजेपी गठबंधन 59 सीटें जीत सकती है, जबकि एसपी-आरएलडी को 37 सीटें मिलती दिख रही हैं.
- जी न्यूज ने 71 सीटों का सर्वे किया जिसमें बीजेपी गठबंधन और एसपी आरएलडी गठबंधन में सीटों के मामले में टाइ होने का अनुमान है. यानी दोनों को 33 से 37 सीटें मिल सकती हैं.
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जिसके जाट, उसी के ठाठ
पश्चिमी यूपी में ये भी कहा जाता है कि जिसके जाट, उसी के ठाठ, लेकिन कहीं ऐसा ना हो कि इस बार जाट बीजेपी की खाट खड़ी कर दें. इसीलिए बीजेपी अपने समीकरण साधने में लगी है. बीजेपी भले ही अखिलेश यादव को कुछ ना समझने का दिखावा कर रही हो, लेकिन उन्हें पता है कि जयंत चौधरी की ताकत क्या है, इसीलिए जयंत चौधरी को साथ आने के ऑफर दिये जा रहे हैं. साल 2014 और 2019 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने पश्चिमी यूपी में बड़ी जीत दर्ज की थी और इसमें बहुत बड़ा योगदान जाटों का था.