UP Assembly Election: ब्राह्मण वोटरों को लेकर यूपी में राजनैतिक संग्राम छिड़ गया है. होड़ मची है पंडितों का असली शुभचिंतक बनने और बताने की. अब समाजवादी पार्टी ने भी ब्राह्मणों को अपना बनाने के लिए लंबी चौड़ी प्लानिंग कर ली है. अगले महीने से पार्टी हर ज़िले में ब्राह्मण सम्मेलन करेगी. जिसका नाम बाद में तय होगा. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जाति के नाम पर कोई राजनैतिक कार्यक्रम करने पर रोक लगा रखी है. इसीलिए बीएसपी ने भी अपने ब्राह्मण सम्मेलन को प्रबुद्ध सम्मेलन का नाम दिया है.


समाजवादी पार्टी के ब्राह्मण नेताओं के साथ अखिलेश यादव ने बैठक की. पार्टी दफ़्तर में हुई इस बैठक में कई बड़े फ़ैसले हुए. लखनऊ में भगवान परशुराम की मूर्ति का जल्द ही उद्घाटन होगा. जिसके लिए बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी बुलाया जाएगा. पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी रहेंगे. समाजवादी पार्टी के ब्राह्मण नेता संतोष पांडे और उनकी टीम पिछले साल से ही परशुराम की मूर्ति लगवाने के काम में जुटी है. सब कुछ ठीक रहा तो अयोध्या में भी मूर्ति जल्द बन कर तैयार हो जाएगी.


अखिलेश यादव के यहां हुई मीटिंग में ये भी तय हुआ कि हर ज़िले में एक ब्राह्मण सम्मेलन भी किया जाए. शुरूआत पूर्वांचल के बलिया ज़िले से करने पर सहमति बनी है. ये स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे की धरती है. साथ ही समाजवादी नेता रहे जनेश्वर मिश्र का जन्म भी यहीं हुआ था. अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक़ 24 अगस्त को ये कार्यक्रम हो सकता है. फिर ब्राह्मण सम्मेलन को ग़ाज़ीपुर, मऊ, आज़मगढ़ में करने की योजना है. 2012 में जब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने थे तब पार्टी के 21 ब्राह्मण विधायक चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे. विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष माता प्रसाद पांडे, पूर्व मंत्री मनोज पांडे और सनातन पांडे जैसे नेताओं को भी अखिलेश यादव ने मीटिंग के लिए बुलाया था.


इसी हफ़्ते बीएसपी ने भी ब्राह्मण सम्मेलन शुरू कर दिया है. वो भी अयोध्या से. पार्टी के ब्राह्मण चेहरे और राज्य सभा सांसद सतीश चंद्र मिश्र ने पहले राम लला के दर्शन किए और फिर सरयू मैया की आरती. मंच से उन्होंने कहा कि राम मंदिर बनाते दो साल हो गए. काम बहुत धीरे से हो रहा है. हमारी सरकार आएगी तो मधुर जल्द बनेगा. बीएसपी भी काम और परशुराम के शरण में है. पार्टी सुप्रीमो मायावती को लगता है ब्राह्मणों ने साथ दिया तो फिर सरकार बन सकती है, जैसा 2007 में हुआ था. तब ब्राह्मण और दलित के सोशल इंजीनियरिंग के सहारे मायावती यूपी की चौथी बार सीएम बनीं. बीएसपी कैंप में फिर से नारे लगने लगे हैं ब्राह्मण शंख बजायेगा, हाथी लखनऊ जायेगा.


यूपी में क़रीब 10 प्रतिशत ब्राह्मण वोटर हैं. मायावती को लगता है 22 फ़ीसदी दलितों ने साथ दिया तो फिर तो सत्ता में वापसी हो सकती है. अखिलेश यादव कैंप के लोगों का कहना है कि अगर यादव और मुस्लिमों के साथ पंडित जुड़े तो जीत पक्की है. मायावती तो कई बार कह चुकी है कि ब्राह्मण अब बीजेपी के बहकावे में नहीं आएगा. आरोप लग रहे हैं कि योगी आदित्यनाथ की सरकार से पंडित नाराज़ हैं. बीजेपी को तो लगता है कि ब्राह्मण तो सिर्फ़ उनके हैं. एक जमाने में बीजेपी को ब्राह्मण और बनियों की पार्टी कहा जाता था. 2017 में 56 ब्राह्मण विधायक चुने गए थे, इनमें से 46 तो बीजेपी के थे. एक दौर था जब ब्राह्मण, मुस्लिम और दलित को कांग्रेस का वोट बैंक कहा जाता था. लेकिन पिछले तीन दशकों से सत्ता से बाहर इस पार्टी की हालत यूपी में ठन ठन गोपाल जैसी है. पार्टी का अपना कोई वोट ही नहीं है.



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