UP Assembly Elections Phase 2 Voting: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पहले चरण में 11 जिलों की 58 सीटों पर वोट डाले गए और 60.17 फीसदी मतदान हुआ. अब सभी राजनीतिक दलों की नज़र दूसरे चरण के चुनाव पर है. 403 सदस्यीय विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 9 जिलों की 55 सीटों पर 14 फरवरी को वोट डाले जाएंगे. इसके लिए सभी दलों ने प्रचार में पूरी ताकत झोंक रखी है. आइए जानते हैं कि इस चरण में क्या समीकरण हैं. सत्ताधारी बीजेपी के लिए क्या चुनौतियां हैं और पिछले चुनाव के नतीजे कैसे रहे थे.


बीजेपी के लिए क्यों है चुनौती?


चुनाव के दूसरे चरण में बीजेपी के लिए चुनौतियां पहले चरण की तुलना में ज्यादा होंगी, क्योंकि दूसरे चरण में मतदान वाली 55 सीटों में से ज्यादातर में मुस्लिम आबादी की बहुलता है और इन इलाकों में बरेलवी (बरेली) और देवबंद (सहारनपुर) के मुस्लिम धर्म गुरुओं का भी काफी प्रभाव माना जाता है. दूसरे चरण में सहारनपुर, बिजनौर, अमरोहा, संभल, मुरादाबाद, रामपुर के अलावा रुहेलखंड के बरेली, बदायूं, शाहजहांपुर जिलों के 55 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं.






2017 का चुनाव: पहला चरण बनाम दूसरा चरण


साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में इस इलाके की 55 सीटों में से 38 सीटें बीजेपी को, 15 सीटें समाजवादी पार्टी (सपा) को और दो सीटें कांग्रेस को मिली थीं. पिछला विधानसभा चुनाव सपा और कांग्रेस ने मिलकर लड़ा था. सपा के खाते में आईं 15 सीटों में से 10 पर पार्टी के मुस्लिम उम्मीदवार जीते थे. जबकि पहले चरण की 58 सीटों में से बीजेपी ने 53 सीटें जीतीं और सपा-बसपा पार्टी को दो-दो और राष्‍ट्रीय लोकदल को एक सीट ही मिली थी.


दूसरे चरण को लेकर जब प्रदेश उपाध्यक्ष और विधान पार्षद विजय बहादुर पाठक से सवाल पूछा गया तो उन्होंने दावा किया, 'दूसरे चरण में भी बीजेपी पहले से ज्यादा सीटें जीतेगी, क्योंकि केंद्र और प्रदेश की बीजेपी सरकार ने सभी वर्गों के विकास को प्राथमिकता दी और यह बात लोग महसूस करते हैं. राज्य में लंबे समय तक कांग्रेस के शासन और फिर 15 सालों तक लगातार सपा-बसपा के शासन में लूट, खसोट और भ्रष्टाचार से पीड़ित जनता इन दलों को दोबारा मौका नहीं देगी. अखिलेश यादव कांग्रेस, बसपा सभी से गठबंधन कर देख चुके हैं और उन्हें जनता सबक सिखा चुकी है.'


वोटों के बिखराव से बीजेपी को मिलेगा फायदा!


सपा ने 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ और 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा और राष्‍ट्रीय लोकदल के साथ गठबंधन किया था. दोनों चुनावों में इन 55 सीटों पर बीजेपी के मुकाबले गठबंधन की सियासत को लाभ मिला. लेकिन, इस बार सपा, बसपा और कांग्रेस तीनों के अलग-अलग चुनाव मैदान में उतरने से राजनीतिक समीक्षकों का दावा है कि मतों का बिखराव होगा और बीजेपी को इसका फायदा मिल सकता है. बसपा ने भी इस इलाके में मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं और अपनी सक्रियता भी बढ़ाई है.


पिछले विधानसभा चुनाव में जहां सपा और कांग्रेस को कुल 17 सीटों पर जीत मिली, वहीं लोकसभा चुनाव में इस इलाके की 11 सीटों में से सात सीटें बसपा-सपा गठबंधन के हिस्‍से में आयीं. इनमें से चार सीटों (सहारनपुर, नगीना, बिजनौर और अमरोहा) पर बसपा जीती, जबकि सपा को मुरादाबाद, संभल और रामपुर में तीन सीटों पर जीत मिली थी. इससे एक बात साफ है कि इस गढ़ में मुस्लिम, जाट और दलित मतदाताओं के गठजोड़ का फार्मूला कामयाब हुआ था.




गठबंधन करने से मजबूत स्थिति में सपा!


इस बार सपा ने पश्चिमी यूपी में सक्रिय राष्‍ट्रीय लोकदल और महान दल के साथ गठबंधन किया है, जिनका जाट, शाक्य, सैनी, कुशवाहा, मौर्य, कोइरी बिरादरी में प्रभाव माना जाता है. सपा के राष्ट्रीय सचिव और मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने दावा किया, ‘‘बीजेपी के झूठ और फर्जीवाड़े की पोल खुल चुकी है. इस बार प्रदेश की जनता बीजेपी को वनवास पर भेज देगी. दूसरे चरण के मतदान वाले इलाकों में सपा गठबंधन बहुत मजबूत स्थिति में है.’’


सपा के एक और नेता ने दावा किया ‘‘ सपा, रालोद गठबंधन के साथ, बीजेपी से इस्तीफा देकर आए स्वामी प्रसाद मौर्य और धर्म सिंह सैनी तथा महान दल के केशव देव मौर्य का समीकरण बहुत मजबूत साबित होगा और बीजेपी का यहां से सफाया हो जाएगा.’’ बहरहाल, स्वामी प्रसाद की बेटी संघमित्रा मौर्य अभी बदायूं से बीजेपी की सांसद हैं और उन्होंने दल छोड़ा नहीं है.


जमीन मजबूत करने की कोशिश में कांग्रेस 


उधर, कांग्रेस भी अपनी जमीन मजबूत करने की कोशिश में है. बरेलवी मुसलमानों के धार्मिक गुरु और इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (आईएमसी) के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा खां ने उत्तर प्रदेश और पंजाब समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशियों के समर्थन का एलान किया है. वहीं, आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस अंचल की कुछ सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं, जिससे दूसरे चरण का चुनाव दिलचस्प हो गया है.


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