यूपी चुनाव: हर बार हार कर भी दिल जीतने वाले 70 साल के 'धरतीपकड़' हिसामुद्दीन की कहानी
लखनऊ: चुनावों के मौसम में एक नाम अक्सर चर्चा में रहता है. यह नाम है धरतीपकड़ का. धरतीपकड़ उन्हें कहा जाने लगा है जो कई चुनाव सिर्फ चुनाव लड़ने के लिए लड़ते हैं. कुछ ऐसे ही धरतीपकड़ उत्तर प्रदेश के मऊ ज़िले में भी हैं.
आठ बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं हिसामुद्दीन
70 साल के हिसामुद्दीन अब तक आठ बार विधानसभा का, आठ बार लोकसभा का और दो बार ज़िला नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव लड़ चुके हैं. इतना ही नहीं, दो बार तो इन्होंने राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन भी किया. लेकिन इन्हें प्रस्तावक नहीं मिला. जिसकी वजह से उनका नामांकन रद्द हो गया. हिसामुद्दीन कहते हैं कि अधिकारी उनके साथ हर चुनाव में बेईमानी करते हैं. वरना सभी 18 चुनावों में उन्हें जीत ही मिली है.
बाहुबली मुख्तार अंसारी के खिलाफ मैदान में हैं हिसामुद्दीन
सत्तर वसंत देख चुके हिसामुद्दीन इस बार मऊ सदर सीट से बाहुबली मुख्तार अंसारी के खिलाफ मैदान में उतर रहे हैं. इतने चुनाव हारने के बावजूद आज भी हिसामुद्दीन हौसलों से मज़बूत हैं. हिसामुद्दीन का कहना है कि इस बार वे सिर्फ विधायक ही नहीं बल्कि मुख्यमंत्री भी बन सकते है. हिसामुद्दीन मऊ को विकसित बनाने का बड़ा ख्वाब भी संजोये हुए हैं. कहते हैं कि फ्लाईओवर, एयरपोर्ट समेत विकास के कई काम उनके एजेंडे में हैं.
लोगों की नजरों में हिसामुद्दीन की कहानी
हालाँकि हिसामुद्दीन की दावेदारी पर स्थानीय लोग हैं. कोई उन्हें नॉन-सीरियस प्रत्याशी बताता है, तो कोई मुस्कुराकर कहता है कि जीतेंगे हिसामुद्दीन चाचा ही. ज़ाहिर है हाथ में छड़ी और चेहरे पर झुर्रियां लिए बैठे हिसामुद्दीन को भी पता है कि वो सिर्फ हारने के लिए मैदान में जा रहे हैं. इसके बावजूद कई ऐसे अरमान होते हैं, जो पूरे भले न हों लेकिन लोग उसकी आस जीवन की अंतिम सांस तक करते हैं. शायद कुछ इसी तरह की आस हिसामुद्दीन भी संजोए बैठे हैं.