उत्तर प्रदेश की विधानसभा में शुक्रवार (3 मार्च) को अदालत में बदल गई. विशेषाधिकार हनन के मामले में सदन में छह पुलिसकर्मियों के खिलाफ सजा का फैसला सुनाया गया. सभी पुलिसकर्मियों को सदन के अंदर कटघरे में पेश किया गया, जहां विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने सजा सुनाई.


इन सभी पुलिसकर्मियों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन मामले में सुनवाई हुई थी. सदन की समिति ने 27 फरवरी को इन सभी को दोषी ठहराया था जिसके बाद शुक्रवार को सजा सुनाने की कार्यवाही की गई. विधानसभा अध्यक्ष ने सभी पुलिसकर्मियों को शुक्रवार रात 12 बजे तक कारावास की सजा सुनाई. दोषी पुलिसकर्मियों विधानसभा परिसर के ऊपर बने सेल में सजा की अवधि तक रहना होगा.


विधानसभा की एक सेल में जेल का प्रावधान
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने दोषी पुलिसकर्मियों को सदन में पेश करने का आदेश दिया था. पुरानी विशेषाधिकार समिति ने इन पुलिसकर्मियों को दोषी पाते हुए इनके खिलाफ कठोर दंड की सिफारिश की थी. स्पीकर सतीश महाना ने संसदीय कार्यमंत्री के सजा प्रस्ताव पर सहमति जताते हुए सभी को 1 दिन के लिए कारावास का आदेश दिया.


विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि विधानसभा में एक ही सेल है जिसमें जेल का प्रावधान है. इन छह पुलिसकर्मियों को उसमें रहना होगा.


आने वाली पीढ़ियों के लिए संदेश- स्पीकर
सजा पर सतीश महाना ने कहा कि यह प्रकरण चिंतनीयहै. अफसरों से अपने अधिकारों से परे जाकर काम किया. ऐसे मौकों पर विधायिका की शक्तियों का प्रयोग किया जाना चाहिए. यह आने वाली पीढ़ियों के लिए संदेश है. कार्यपालिका को अपनी सीमाओं का उल्लंघन नहीं करना चाहिए.


क्या था मामला?
2004 में सपा की सरकार थी. मुलायम सिंह मुख्यमंत्री थे. उसी समय बिजली कटौती के मामले को लेकर सतीश महाना (वर्तमान में विधानसभा अध्यक्ष) कानपुर में धरने पर बैठे थे. उस समय पार्टी के तमाम विधायक व नेता उनके समर्थन में जा रहे थे तो पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया था. लाठी चार्ज में उस समय विधानसभा सदस्य रहे सलिल विश्नोई की टांग टूटी थी और वो महीनों बेड पर रहे थे. इसके बाद उन्होंने 25 अक्टूबर 2004 को विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना की सूचना दी थी. 


इन पुलिसकर्मियों को सुनाई गई सजा
जिन पुलिसकर्मियों को सजा सुनाई गई उनके नाम इस प्रकार हैं- तत्कालीन क्षेत्राधिकारी अब्दुल समद, तत्कालीन थानाध्यक्ष ऋषिकांत शुक्ला, तत्कालीन उपनिरीक्षक त्रिलोकी सिंह, तत्कालीन कांस्टेबल छोटेलाल यादव, विनोद मिश्र और मेहरबान सिंह.

किसने क्या कहा?
कार्यवाही के दौरान कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कुछ घंटे कारावास में रखने का निवेदन किया. वहीं, सुरेश खन्ना ने कहा कि अध्यक्ष पीठ से निर्ण होने के बाद विचार और पुनर्विचार की आवश्यकता नहीं है. इन सभी के लिए भोजन और पानी की व्यवस्था करा दी जानी चाहिए.


अन्य दलों ने क्या कहा



  • आशीष पटेल, अपना दल- अध्यक्ष जी निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं.

  • संजय निषाद, निषाद पार्टी- दोषियों पर जो कार्यवाही हो उसका समर्थन है.

  • ओमप्रकाश राजभर - अध्यक्ष जी का निर्णय से सहमत हैं.

  • अनुराधा मिश्रा, कांग्रेस- आपके निर्णय पर सहमत हैं.

  • रघुराज प्रताप सिंह, जनसत्ता दल- आपके निर्णय से सहमत हैं.

  • उमाशंकर सिंह, बीएसपी - हमारा दल आपके निर्णय से सहमत है.


 


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